उत्तराखंड: सियासी दलों के दावों की खुलेगी पोल, मतदान कम होने से किसका होगा फायदा, कौन झेलेगा नुकसान

सियासी संग्राम के पहले पड़ाव के समापन के बाद, उत्तराखंड में हुए चुनावों ने राजनीतिक दलों के बीच गहरी चर्चाएं और तकरारों का सिलसिला आरम्भ कर दिया है। चुनावी महौल में चर्चाओं की तेजी से बढ़ती है, जहां सभी दल अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। लेकिन इस बार का चुनाव बीते तीनों चुनावों की तुलना में कम मतदान की नोटिस की गई है, जिससे नतीजे का अटल सवाल उठा है।

इसके साथ ही नतीजों के बारे में नफा और नुकसान की चर्चा भी शुरू हो चुकी है, जिसमें हर दल अपने दावों और गणित के बारे में जोरदार तर्क प्रस्तुत कर रहा है। इसे में 45 दिन बाद आने वाले नतीजे ही इस कम मतदान के मायने तय करेंगे।

लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि कम मतदान के जो दशकों से मायने होते हैं वही रहेंगे या फिर मतदाताओं के ठिठके कदम कुछ और इबारत लिखेंगे। मतदान बढ़ाने के लिए भाजपा 11,729 बूथों पर भाजपा ने बूथ समितियों और पन्ना प्रमुखों का नेटवर्क बनाया।

मुख्य समाचार

पांच साल बाद फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा, भारत-चीन संबंधों में आई नरमी

पांच वर्षों के अंतराल के बाद, कैलाश मानसरोवर यात्रा...

विज्ञापन

Topics

More

    Related Articles