कई अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रो में मृतको को अभी भी मतदाता कि संख्या में गिना जा रहा है, कैंट विधानसभा क्षेत्र के प्रेमनगर निवासी ओपी शर्मा की मौत हो चुकी है, लेकिन आज भी वह निर्वाचन आयोग के लिए मतदाता हैं। समान रूप से धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के पटेलनगर निवासी मोहनलाल की मौत 2004 में हो गई थी, पर मतदाताओं की सूची में उनका नाम आज भी शामिल है।
चुनाव आयोग की दिशा-निर्देशों का पालन न करने से मतदाता सूची में गंभीर गलतियों की संख्या बढ़ गई है, जो कि चुनाव प्रक्रिया को अवैध और अविश्वसनीय बना देती है। इससे सिर्फ़ चुनावी प्रक्रिया की मान्यता पर प्रश्नचिह्न लगते हैं, बल्कि यह भी नागरिकों के विश्वास को कमजोर करता है।
साथ ही इस प्रकार की सामाजिक और राजनीतिक दुर्घटनाएँ देश के लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति को भी प्रभावित करती हैं। चुनाव के दौरान मतदाता सूची में कई गलतियां देखने को मिलीं। कई लोगों ने संशोधन के लिए आवेदन किया था, लेकिन संशोधन नहीं हुआ। कुछ युवतियों की शादी अन्य शहरों में हुई है, लेकिन इनके नाम आज भी सूची में हैं।