यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रपति परिषद ने देश में बड़ा सत्ता परिवर्तन कर दिया है. सोमवार को परिषद ने देश के प्रधानमंत्री मईन अब्दुल मलिक सईद को पद से बर्खास्त कर दिया है. वो 2018 से पीएम थे. उनकी जगह पर अब देश के विदेश मंत्री अहमद अवद बिन मुबारक देश के नए प्रधानमंत्री बना दिए गए हैं. इसे काफी अप्रत्याशित कदम माना जा रहा है.
बिन मुबारक को साउदी अरब का काफी नजदीकी माना जाता है. काउंसिल ने इस बदालव को लेकर कोई कारण नहीं बताया है. यमन में राजनीतिक उथल-पुथल नई नहीं है. बल्कि यहां साल 2014 से ही गृह युद्ध का दौर जारी है. ये फैसला ऐसे वक्त पर आया है, जब अमेरिका के नेतृत्व में सैन्य गठबंधन, यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को निशाना बनाने का काम कर रहे हैं. साल 2014 में हूती आतंकियों ने देश की राजधानी साना पर कब्जा कर लिया था और यहां के शासन को उथल-पुथल कर दिया था.
कुछ ही महीनों बाद साउदी अरब समर्थित लोगों ने इन विद्रोहियों से साल 2015 में ही लड़ाई शुरू कर दी थी. उनका मकसद था कि देश में फिर से सरकार का शासन हो जाए. इस युद्ध की वजह से यमन पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर आ गया है. एबीसी न्यूज वेबसाइट के अनुसार ये देश सबसे गरीब अरब देश की सूचि में आता है. यहां के गृह युद्ध में 1 लाख से ज्यादा नागरिक और लड़ाके मारे जा चुके हैं.
हाल के महीनों में हूती आतंकियों ने साउदी अरब से समझौता स्थापित करने की कोशिश की है, जिसके कारण युद्ध रुक गया है और वो इससे बाहर आ गए हैं. दोनों पक्षों का मानना है कि वो सालों पहले खत्म हो चुके सीजफायर को फिर से हासिल कर सकते हैं. पिछले साल अक्टूबर में जब से इजरायल-हम्मास के बीच जंग छिड़ी है, तब से ही इस शांति समझौते को भी नुकसान पहुंचा है.
इस झगड़े के बाद हूती ने लाल सागर में समुद्री मार्ग पर हमले शुरू कर दिए हैं. उनका कहना है कि ये इजरायल के हमले का नतीजा है, जो उन्होंने फिलिस्तीनी लड़ाकों पर किया था. माना जाता है कि हूती की तरह उन्हें भी ईरान का समर्थन है. हूती के इन्हीं हमलों को देखते हुए अमेरिका और ब्रिटेन ने हूती आतंकियों द्वारा कब्जे वाले यमन पर हमला बोला है.