अभी कुछ साल पहले तक खाड़ी देश सऊदी अरब में महिलाओं को लेकर कड़े कानून लागू हुआ करते थे. लेकिन अब सऊदी में महिलाओं को लेकर सही फैसले उनके हक में किए जा रहे हैं.
अब सऊदी सरकार महिलाओं को लेकर बड़ा एलान किया है. सरकार ने हज या उमरा करने वाली महिलाओं के लिए महरम की अनिवार्यता खत्म कर दी है. अब कोई भी महिला बिना महरम ( पुरुष साथी ) के हज या उमरा करने के लिए सऊदी अरब जा सकती है.
सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्री डॉ. तौफीक बिन फौजान अल-राबिया ने इसकी घोषणा की है. भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल लगभग 80 हजार भारतीय मुसलमान हज करने के लिए सऊदी अरब जाएंगे.
इनमें 50% संख्या महिलाओं की है. 2019 में सबसे ज्यादा दो लाख भारतीय मुसलमान हज के लिए मक्का गए थे. कुछ मामलों में 45 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम भी हज की अनुमति दी जा चुकी है. लेकिन सभी महिलाओं के लिए यह फैसला वाकई ऐतिहासिक है.
सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्री तौफीक अल रबिया ने कहा, ‘एक महिला अब बिना मेहरम के उमरा करने के लिए मुल्क में आ सकती है.’ इस आदेश ने सऊदी अरब की दशकों पुरानी प्रथा को खत्म कर दिया है.
हालांकि तीर्थयात्रा में शामिल होने वाले महिलाओं के बड़े समूह के साथ हज या उमरा करने वाली महिलाओं को इसकी अनुमति पहले भी दी जा चुकी है. सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और पर्यटकों को लुभाने के लिए महिलाओं की स्थिति में बदलाव कर रहा है.
इसीलिए देश में महिलाओं को मूलभूत अधिकार मिले अभी ज्यादा समय नहीं बीता है. 1955 में यहां लड़कियों के लिए पहला स्कूल खुला और 1970 में लड़कियों को पहली यूनिवर्सिटी मिली. 2001 में पहली बार महिलाओं को पहचान पत्र दिया गया.
साल 2005 में जबरन शादी जैसी कुप्रथा का अंत हुआ. 2015 में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला और साल 2018 में महिलाओं को पहली बार ड्राइविंग लाइसेंस दिया गया.