तबाही के 77 साल: दुनिया ने आज के दिन पहली बार ‘एटम बम’ का देखा खौफनाक मंजर, हिरोशिमा हो गया था खाक

आज ऐसी तारीख है जिसे 77 साल बाद भी दुनिया भुला नहीं पाई है. खास तौर पर जापान के लोग आज भी उस घटना को याद कर सहम जाते हैं. अभी भी जापान में खौफनाक मंजर के घाव भरे नहीं है. इसकी चर्चा हम बाद में करेंगे पहले आइए जान लेते हैं करीब 8 महीने पहले रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध ने पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचा दी थी. यूक्रेन के साथ युद्ध में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ‘परमाणु बम’ से हमले करने की भी धमकी दे दी थी.

जिसके बाद विश्व के कई देशों में बेचैनी बढ़ गई . हालांकि दोनों देशों के बीच अभी भी मिसाइलों और बंदूकों की गरज सुनाई दे रही है. इस बीच दुनिया अभी रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध से उभर भी नहीं पाई थी कि अब एशिया के दो देशों के बीच फिर से मिसाइलें तन गई हैं. यह दोनों देश हैं ड्रैगन यानी चीन और ताइवान.

इन दिनों दोनों देशों के बीच जो हालात बन रहे हैं वह संकेत दे रहा है कि दुनिया को एक और युद्ध का सामना करना पड़ सकता है. चीन और ताइवान के आमने-सामने होने से अब कई देशों की निगाहें लगी हुई है. चीन को हथियारों के मामले में सबसे अग्रणी देश माना जाता है. ड्रैगन ने कई हाईटेक एटम बम बना लिए हैं.

दुनिया के लिए चीन सबसे अधिक सिरदर्द भी बना हुआ है. वहीं चीन और जापान के बीच संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे . आज हमारी चर्चा का विषय जापान है. आइए बात को आगे बढ़ाते हैं. अब बात करते हैं आज की तारीख जो अमेरिका और जापान से जुड़ी हुई है. 6 अगस्त 1945 को आज ही के दिन दुनिया ने पहली बार एटॉमिक हथियारों की तबाही देखी थी. तब दूसरे विश्वयुद्ध में मित्र देशों की जीत लगभग तय थी. जर्मनी सरेंडर कर चुका था.

सिर्फ जापान मित्र देशों को टक्कर दे रहा था. 6 अगस्त को सुबह 8 बजे जापान के हिरोशिमा शहर के ऊपर अमेरिकी विमानों की गड़गड़ाहट गूंजी. इनमें से एक विमान में 3.5 मीटर लंबा, 4 टन वजनी और 20 हजार टीएनटी के बराबर ऊर्जा वाला बम लिटिल बॉय हिरोशिमा पर गिरा दिया. बता दें कि परमाणु हमले की वजह से हिरोशिमा शहर का 80% हिस्सा राख हो गया था.

इस बम ने 3 लाख से ज्यादा आबादी वाला शहर तबाह कर दिया. हिरोशिमा जापान का 7वां सबसे बड़ा शहर था. बम फटने के बाद तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुंच गया. इसकी जद में जो आया, राख हो गया. कुछ सेकेंड्स में 80 हजार लोगों की मौत हो गई. बाद में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक करीब इसमें 2 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इसके 1 दिन बाद अमेरिका ने 8 अगस्त 1945 को फिर नागासाकी पर एटम बम से हमला कर दिया था.

अब एक बार फिर से चीन और ताइवान के बीच टकराव इस कदर बढ़ गया है कि दोनों ने ही मिसाइलें तान ली हैं. एशिया के यह दोनों देश युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन चिंता जापान, भारत समेत कई देशों की बढ़ा दी है. ‌ यह भी सच है युद्ध से कभी किसी का भला नहीं होता है बल्कि कई देशों पर उसका सीधा असर भी पड़ता है.

शंभू नाथ गौतम

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