नेपाल में नई सरकार के गठन की कवायद निर्णायक मोड़ पर जा पहुंची है. यहां हाल ही हुए आम चुनाव में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. राष्ट्रपति के बुलावे पर कई बड़ी सियासी पार्टियां गठबंधन को लेकर विचार-विमर्श कर रही थीं.
नई सरकार बनाने की समय सीमा का आज आखिरी दिन था, पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की अगुवाई में रविवार को हुई दलों की बैठक के बाद शाम 4 बजे यह बताया गया कि, प्रचंड नेपाल के अगले प्रधानमंत्री होंगे.
हिंदू बहुल आबादी वाले देश में सरकार बनाने के लिए नेपाल की 6 पार्टियों का गठबंधन हो रहा है. गठबंधन में शामिल पार्टियों ने कहा है कि प्रचंड ढाई साल तक प्रधानमंत्री रहेंगे. इसके बाद CPN-UML सत्ता संभालेगी. इन पार्टियों के बीच गठबंधन का सार यह है कि, पूर्व PM ओली एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे. वह प्रचंड के बाद ढाई साल तक इस पद पर रहेंगे.
इससे पहले रविवार दोपहर को यह खबर आई थी कि पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने सत्ताधारी माओइस्ट सेंटर को समर्थन देने से इनकार कर दिया है और उन्होंने गठबंधन को भी छोड़ दिया है. नेपाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल इस बारे में मीडिया को जानकारी दी थी. वहीं, प्रचंड की पार्टी की चाहत यही थी कि दोनों ही पार्टियां ढाई-ढाई साल के लिए सरकार चलाएं. हालांकि, दूसरी पार्टी की मांग इससे अलग थी.
चुनाव परिणाम में किसी पार्टी को बहुमत न मिलने पर नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने सभी पार्टियों से कहा था कि वो रविवार तक नई सरकार बनाने पर कोई फैसला ले लें. इसके बाद शेर बहादुर देउबा की अगुवाई वाली नेपाली कांग्रेस और प्रचंड की सीपीएन माओवादी मिलकर सरकार बनाने की तैयारी कर रहे थे.
हालांकि, दोनों की तरफ से कोई पक्की बात सामने नहीं आई. रविवार शाम को सस्पेंस तब खत्म हुआ, जब पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की माओइस्ट सेंटर पार्टी ने 5 अन्य दलों के साथ गठबंधन का ऐलान किया.