ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया. ब्रिटेन के लोगों ने अपनी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को नम आंखों से अंतिम विदाई दी. महारानी के अंतिम संस्कार में करीब 2,000 लोग मौजूद रहे.
ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय ने लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर एबे में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार से पहले धन्यवाद संदेश में अपनी दिवंगत मां द्वारा ‘‘आजीवन की गई सेवा’’ को याद किया.
लंदन के गॉथिक एबे में अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जुटे ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्यों के साथ ही दुनियाभर के सैकड़ों नेताओं और गणमान्यों ने सिर झुकाया और हाउसहोल्ड कैवलरी के सदस्यों ने ‘द लास्ट पोस्ट’ की धुन बजाई। इसके बाद वहां उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखा और फिर राष्ट्रगान गाया गया. महारानी के पाइपर ने शोक धुन बजाई और प्रार्थना सभा समाप्त हुई। इसके बाद महारानी के ताबूत को विंडसर कैसल में दफनाया गया.
इससे पहले महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताबूत को राजकीय अंतिम संस्कार के लिए वेस्टमिंस्टर एबे ले जाया गया था. महारानी के ताबूत की इस यात्रा में उनके बेटे और महाराजा चार्ल्स पीछे चल रहे थे. महाराजा के साथ उनके बेटे प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी तथा भाई-बहन प्रिंसेस एनी और प्रिंस एंड्रयू तथा प्रिंस एडवर्ड थे.
इस अंतिम यात्रा में साथ चलने वाले राजपरिवार के सबसे कम उम्र के सदस्यों में 9 साल के प्रिंस जॉर्ज और सात साल की प्रिंसेस शेरलोट थीं. दोनों अपने माता-पिता प्रिंस और प्रिंसेस ऑफ वेल्स के बीच में चल रहे थे.
महारानी के अंतिम संस्कार में कैंटरबरी के आर्कबिशप ने कहा कि कुछ ही नेताओं को इतना प्यार मिलता है, जितना हमने दिवंगत महारानी के लिए देखा है. आर्कबिशप ने कहा कि महारानी खुशमिजाज थीं, बहुत से लोगों के लिए वह हमेशा मौजूद रहती थीं, उन्होंने बहुत से लोगों के जीवन को छुआ.
महारानी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत दुनियाभर के करीब 500 नेता एवं शाही परिवार के लोग पहुंचे थे.
70 साल तक राजगद्दी पर आसीन रहीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का आठ सितंबर को बाल्मोरल कैसल स्थित उनके आवास में निधन हो गया था. वह 96 साल की थीं. बड़ी संख्या में लोग लंदन में सर्द रात की परवाह किए बगैर संसद के वेस्टमिंस्टर हॉल में ‘लाइंग इन स्टेट’ में रखे महारानी के ताबूत के अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे थे.