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बाइडेन को चांदी की ट्रेन, फर्स्ट लेडी के लिए पश्मीना, जानिए पीएम मोदी के उपहारों की खासियतें

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी अमेरिका के दौरे पर हैं. जब पीएम मोदी डेलावेयर के विलमिंगटन में द्विपक्षीय वार्ता के लिए पहुंचे तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनका गले लगाकर स्वागत किया और हाथ पकड़कर उन्हें घर के अंदर ले गए. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच गहरी होती दोस्ती को दुनिया ने देखा. पीएम मोदी ने राष्ट्रपति बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन को अनोखे तोहफे गिफ्ट किए. पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को चांदी की ट्रेन और फर्स्ट लेडी जिल को पश्मीना शॉल उपहार में दी. आइए पीएम मोदी के इन उपहारों का महत्व और खासियतें जानते हैं.

पीएम मोदी के ये उपहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं. पीएम मोदी ने चांदी की ट्रेन का जो मॉडल राष्ट्रपति बाइडेन को गिफ्ट किया है, वो एक अनूठी, दुर्लभ, हाथ से बनी कलाकृति है. महाराष्ट्र के कुशल कारीगरों ने जिसे बनाया है. ट्रेन का ये मॉडल 92.5 फीसदी चांदी से बना है, जिस पर बारीक नक्काशी की गई है. इस ट्रेन मॉडल पर भारत-अमेरिका संबंधों को दर्शाते हुए दोनों ओर अंग्रेजी और हिंदी में ‘दिल्ली-डेलावेयर’ और ‘इंडियन रेलवे’ लिखा हुआ है. पीएम मोदी का ये गिफ्ट भारतीय घातुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है, जिसकी बनावट आपके भी दिल को छू लेगी.

पीएम मोदी की ओर से बाइडेन के लिए इससे बढ़िया तोहफा कुछ नहीं हो सकता था, क्योंकि राष्ट्रपति बाइडेन को ट्रेने से खासा लगाव रहा है. उन्होंने ट्रेनों के प्रति अपनी प्रेम को कभी नहीं छुपाया. बाइडेन ने अक्टूबर 2020 में इंस्ट्राग्राम पर लिखा था, ‘यह कोई रहस्य नहीं है कि मुझे ट्रेनें बहुत पसंद हैं. मैंने अपने करियर के दौरान एमट्रैक पर 7,000 से ज्यादा चक्कर लगाए हैं. जब वोटर्स से मिलने के लिए ट्रेन से यात्रा करने का मौका मिला, तो मैंने पूरी ताकत से काम किया.

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका की फर्स्ट लेडी और राष्ट्रपति बाइडेन की पत्नी जिल बाइडेन को भी बड़ी खास तोहफा दिया है. पीएम मोदी ने फर्स्ट लेडी को पश्मीना शॉल गिफ्ट की. ये शॉल कागज की लुगदी से बने एक डिब्बे में पैक कर दी गई थी, जिसकी डिजाइन बहुत ही अद्भुत थी. हाथ से तैयार पश्मीना शॉल अपनी को मलता और गर्माहट के लिए दुनियाभर में फेमस हैं. पश्मीना शॉल को जम्मू और कश्मीर की हस्तकला की समृद्ध और उत्कृष्ट विरासत का शिखर माना जाता है. पश्मीना की खोज 16वीं शताब्दी में हुई थी जब भारत मुगल शासन के अधीन था.

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