पाकिस्तान को इन दिनों चौतरफा मुंह की खानी पड़ रही है. बलूचिस्तान में ट्रेन हाईजैकिंग की घटना पर एक तो रूस-अफगानिस्तान जैसे दोस्त माने जाने देशों से ही उसे दुत्कार और फटकार मिली, तो वहीं भारत से भी अब टका सा मिल गया है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने जाफर एक्सप्रेस की हाईजैक में भारत का हाथ बताया था. पाकिस्तान की इस कोरी बकवास को भारत ने सख्ती से खारिज किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, ‘हम पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए निराधार आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं. पूरा विश्व जानता है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है. पाकिस्तान को दूसरों पर उंगली उठाने और अपने आंतरिक विफलताओं का दोष स्थानांतरित करने के बजाय आत्मनिरीक्षण करना चाहिए.’
इससे पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने गुरुवार को दावा किया कि जाफर एक्सप्रेस पर हुए हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में अपने सरगनाओं के संपर्क में थे. शफकत अली खान ने अपने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने में शामिल रहा है. जाफर एक्सप्रेस पर हुए हमले में भी आतंकवादी अफगानिस्तान में अपने हैंडलर्स और सरगनाओं के संपर्क में थे.’
गौरतलब है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण बने हुए हैं. पाकिस्तान का आरोप है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) अफगान जमीन का इस्तेमाल कर पाकिस्तान में हमले कर रहा है. हालांकि, काबुल ने इन आरोपों को खारिज किया है.
पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने दावा किया कि उन्होंने जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक करने वाले बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के सभी 33 विद्रोहियों को मार गिराया है. हालांकि, पाकिस्तानी सेना ने इस कथित ‘सफल ऑपरेशन’ के कोई फोटो या वीडियो जारी नहीं किए हैं.
दूसरी ओर, बलूच विद्रोही संगठन BLA ने पाकिस्तानी सेना के दावों को खारिज करते हुए कहा कि ‘युद्ध अभी भी कई मोर्चों पर जारी है.’ बीएलए के प्रवक्ता जियंद बलूच ने कहा, ‘पाकिस्तानी सेना न तो युद्ध के मैदान में जीत हासिल कर पाई है और न ही अपने बंधक जवानों को बचा सकी है.’ उन्होंने पाकिस्तानी सेना पर आरोप लगाया कि ‘राज्य ने अपने ही सैनिकों को छोड़ दिया और उन्हें बंधकों के रूप में मरने के लिए छोड़ दिया.’
जाफर एक्सप्रेस से रिहा हुए कुछ यात्रियों ने क्वेटा पहुंचकर पाकिस्तानी मीडिया को बताया कि विद्रोहियों ने ट्रेन पर कब्जा करने के तुरंत बाद महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को स्वेच्छा से रिहा कर दिया था. बीएलए ने पाकिस्तानी अधिकारियों को चुनौती देते हुए कहा कि ‘स्वतंत्र पत्रकारों और निष्पक्ष पर्यवेक्षकों को संघर्ष क्षेत्र में जाने की अनुमति दी जाए.’ संगठन का मानना है कि अगर पाकिस्तानी सेना ने वास्तव में जीत हासिल की होती, तो वह इस क्षेत्र में पत्रकारों को जाने से नहीं रोकती. BLA का कहना है कि सेना की तरफ से पत्रकारों की एंट्री पर रोक लगाना इस बात का प्रमाण है कि ‘वास्तविकता कुछ और है और पाकिस्तानी सेना अपनी हार को छिपाने की कोशिश कर रही है.’