कुछ ऐसा रहा परवेज मुशर्रफ का जीवन, उनके बारे में जानिए 10 बड़ी बातें

रविवार को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का 79 साल की उम्र में दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह लंबे वक्त से हार्ट और किडनी की समस्या से परेशान थे. मुशर्रफ भले ही पाकिस्तान के सबसे ताकतवर शख्स रह चुके हों लेकिन उनका जन्म भारत में हुआ था. बंटवारे से पहले उनका परिवार दिल्ली में रहता था.

उनके बारे में जानिए 10 बड़ी बातें

1. मुशर्रफ का जन्म दिल्ली के दरियागंज इलाके में 11 अगस्त 1943 को हुआ था. बंटवारे के बाद उनका पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया था.
2. उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में बड़े अधिकारी थे. पिता की तरह उन्होंने भी पाकिस्तान की सेना ज्वाइन की और सेना के सर्वोच्च पद तक पहुंचे. वह उन नेताओं में से एक थे जो पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष रहने के बाद राष्ट्रपति बने.
3. परवेज मुशर्रफ को पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेनाध्यक्ष बनाया था. सेना की कमान आने के बाद मुशर्रफ ने भारत के खिलाफ ही साजिश रच दी और कारगिल को कब्जाने की कोशिश की. हालांकि, भारतीय सेना के आगे हार का सामना करना पड़ा.
4.1999 में उन्होंने सैन्य तख्तापलट कर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को गिरा दिया और 9 साल तक देश पर शासन किया. शुरुआत में उन्होंने पाकिस्तान के मुख्य कार्यकारी के रूप में काम किया. बाद में 2001 में तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद रफीक तरार के इस्तीफे के बाद खुद राष्ट्रपति बन गए थे.
5. जून 2001 में मुशर्रफ ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से आगरा में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में मुलाकात की. जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर समझौता नहीं हो सका था इसलिए यह शिखर सम्मेलन असफल रहा था.
6. मुशर्रफ के कार्यकाल में ही दिसंबर 2001 में भारत की संसद पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें 14 लोग शहीद हो गए थे. इसके बाद दोनों देशों के बीच टेंशन काफी बढ़ गई थी.
7. 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान मुशर्रफ ने भारत और पाकिस्तान ने तनाव कम करने और सीमा पर शत्रुतापूर्ण संबंध रोकने का समझौता किया था. 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जम्मू-कश्मीर दौरे पर उन्होंने बॉर्डर पर तनाव कम करने के लिए सैनिकों की तैनाती कम करने की घोषणा की थी.
8. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते 2008 में मुशर्रफ को पाकिस्तान में चुनाव कराने पर मजबूर होना पड़ा. चुनाव बाद उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया और परिवार सहित दुबई चले गए थे.
9. 2010 में उन्होंने ‘ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ का गठन किया और 2013 में चुनाव लड़ने के लिए पाकिस्तान लौटे. मुल्क लौटने पर उन पर बेनजीर भुट्टो की हत्या कराने और राजद्रोह सहित कई मुकदमों का सामना करना पड़ा.
10. 2019 में उन्हें मुल्क में आपातकाल लगाने के आरोप में देशद्रोह का दोषी पाया गया. इस अपराध के लिए अदालत ने उन्हें उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई थी. इस सजा को बाद में लाहौर उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था.

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