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बाजवा को लेकर पाक पत्रकार का बड़ा खुलासा, न गोला-बारूद और न पैसा, इसलिए कश्मीर पर करना पड़ा संघर्षविराम!

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पाक सेना के पूर्व प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा

पाकिस्तान के पत्रकार हामिद मीर ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी फौज भारत से लड़ने के काबिल नहीं है. पूर्व आर्मी चीफ जनरल जावेद बाजवा के हवाले से उन्होंने यह बड़ा खुलासा किया है. ब्रिटेन स्थित पाकिस्तानी मीडिया ‘यूके44′ के साथ एक साक्षात्कार में पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने खुलासा किया, ‘आर्मी चीफ बाजवा ने कहा था कि हम भारत से नहीं लड़ सकते. पाकिस्तान के पास भारत के खिलाफ लड़ने के लिए गोला-बारूद और आर्थिक ताकत की कमी है.’

हामिद मीर ने एक वीडियो में बाजवा पर ‘कश्‍मीर को बेचने’ के आरोप लगाए. मीर को एक वीडियो में यह दावा करते हुए सुना जा सकता है कि बाजवा ने भारत-पाक नियंत्रण रेखा (LOC) पर सीजफायर के साथ ही कश्‍मीर पर एक डील की थी. मगर इमरान को इससे कोई सरोकार ही नहीं था. उन्होंने कहा, ‘कश्मीर पर कमर जावेद बाजवा सौदे का खुलासा अभी तक पाकिस्तानी नागरिकों के सामने नहीं किया गया है.’

हामिद मीर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जनरल बाजवा ने 25 जर्नलिस्‍ट्स के सामने यह कहा था कि पाकिस्‍तानी आर्मी के टैंक्‍स ठीक से काम नहीं करते हैं और न ही सेना के पास इतना पैसा है कि उनमें डीजल डाला जा सके. उन्‍होंने जर्नलिस्‍ट्स के सामने यह बात मानी थी कि पाकिस्‍तान की आर्मी लड़ने के योग्‍य नहीं है. हामिद मीर के मुताबिक जनरल बाजवा ने कश्‍मीर पर एक डील की.

जिस समय एलओसी पर युद्धविराम हुआ, उस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्‍तान का दौरा करने वाले थे. हामिद मीर का दावा है कि मोदी अप्रैल 2021 में पाकिस्‍तान आने वाले थे.

जब विदेश कार्यालय को इसके बारे में पता चला, तो वे इमरान खान के पास गए क्योंकि वे इसके बारे में अनजान थे. इमरान खान ने कहा कि उन्हें इसके बारे में पता है और एनएसए अजीत डोभाल के साथ बातचीत चल रही है. लेकिन इमरान ने कहा कि उनके पास पीएम मोदी की पाकिस्तान यात्रा के बारे में कोई पुष्टि नहीं है. मीर ने यह भी दावा किया कि विकल्पों के अभाव में जावेद बाजवा ने सामान्य संबंध बनाने के लिए भारत के साथ सुधरने का प्रस्ताव रखा.


दोनों पक्ष कश्मीर के समाधान पर काम कर रहे थे, क्योंकि पाकिस्तान को एहसास हुआ कि उसके पास भारत से लड़ने के लिए गोला-बारूद और आर्थिक ताकत की कमी है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के साथ “चौतरफा युद्ध” का खतरा पाकिस्तान के लिए चुनावों में देरी करने की कोशिश करने वाले सुरक्षा संबंधी मुद्दों में से एक था.

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