पाकिस्तान में हाईजैक की गई ट्रेन से सेना के जवानों ने 104 यात्रियों को छुड़ा लिया है. जबकि 13 आतंकियों को भी मार गिराया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी भी कई यात्री हाईजैक ट्रेन में फंसे हुए हैं. बता दें कि बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने मंगलवार (11 मार्च) को पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया था और 214 यात्रियों को बंधक बना लिया था. उसके बाद यात्रियों को छुड़ाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने मोर्चा संभाला और 13 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया. साथ ही 104 यात्रियों को भी छुड़ा लिया.
वहीं बीएलए ने भी दावा किया है उसने पाकिस्तान के 30 से ज्यादा सैनिकों को मार गिराया है. इसके साथ ही बीएलए ने पाकिस्तान की जेल में बंद बलूच कैदियों की रिहाई के लिए शहबाज शरीफ सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. लेकिन इस बारे में अभी तक पाकिस्तानी सेना या पुलिस की ओर से किसी भी प्रकार की आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है.
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार सुबह जाफर एक्सप्रेस ट्रेन नौ डिब्बों के साथ 500 यात्रियों को लेकर खैबर पख्तूनख्वा से पेशावर जा रही थी, तभी गुदलार और पीरू कोनेरी इलाकों के बीच आतंकियों ने ट्रेन पर गोलीबारी कर दी. उसके बाद आतंकियों ने ट्रेन को हाईजैक कर लिया और 214 यात्रियों को बंधक बना लिया. सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने अब तक 13 आतंकियों को मार गिराया है. जबकि 104 यात्रियों को छुड़ा लिया. फिलहाल बचाव अभियान जारी है. हालांकि इससे पहले बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि उसने ट्रेन को अपने कब्जे में लेकर 100 से ज्यादा यात्रियों को बंधक बना लिया है.
बता दें कि बीएलए पर पाकिस्तान और अमेरिका दोनों ने प्रतिबंध लगा रखा है. बीएलए पर निर्दोष लोगों की हत्या करने का आरोप है. बीएलए ने एक बयान जारी कर धमकी दी है कि अगर पाकिस्तानी सुरक्षा बल कोई सैन्य अभियान शुरू करते हैं तो वे सभी बंधकों को मार देंगे. हालांकि पाकिस्तान की सरकार ने बीएलए की धमकी को नजरअंदाज करते हुए बंधकों को बचाने के लिए सेना को मैदान में भेज दिया और ऑपरेशन शुरू कर दिया.
ये हैं बलूच लिबरेशन आर्मी की मांगें
बलूच लिबरेशन आर्मी जिसे बीएलए के नाम से जाना जाता है. बीएलए ने ट्रेन को हाईजैक करने के बाद पाक सरकार के सामने अपनी मांगे रखें. बीएलए ने पाक सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया. साथ ही कहा कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान की किसी भी एजेंसी या सुरक्षा एजेंसी का कोई भी नुमाइंदा नहीं होना चाहिए. बलूचों का कहना है कि चीन के साथ चल रहे CPEC प्रोजेक्ट से उनके खनिजों का दोहन हो रहा है. इसलिए इस प्रोजेक्ट को बंद कर देना चाहिए. इसी मांग को लेकर पिछले कई सालों से बलूच आर्मी लगातार इसी प्रकार के हमलों को अंजाम देती रहती है. बीएलए के आतंकियों ने कई बार चीनी इंजीनियर और मजदूरों को भी निशाना बनाया है.