इन दिनों हमारे देश पाकिस्तान में हर तरफ हलचल है. कहीं बमबारी हो रही तो कहीं अज्ञात बंदूकधारी का खौफ है. कहीं पाक आर्मी खून के आंसू रो रही तो कहीं आवाम भूखे मर रही. पाकिस्तान की हालत पूरी तरह पस्त है. बीएलए यानी बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने सरकार और सेना दोनों की बैंड बजा रखी है. आर्मी चीफ मुनीर हों या प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सबकी बीएलए ने नींद उड़ा रखी है. पाकिस्तान में सुरक्षा ताक पर है. कहीं भी बीएलए के लड़ाके या अज्ञात बंदूकधारी किसी को टपका दे रहे. पाकिस्तानी आर्मी से चीजें कंट्रोल नहीं हो रहीं. पाकिस्तान की सुरक्षा की जिम्मेदारी आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर पर है. मगर अब वह पाक को सेफ करने के बदले ब्लेम गेम वाला खेल खेलने लगे हैं. यह डर्टी गेम ठीक वैसा ही है, जैसा कभी परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ संग खेला था.
दरअसल, पाकिस्तान में तख्तापलट की आहट सुनाई देने लगी है. बीएलए की वजह से पाकिस्तान की आर्मी और शहबाज सरकार आमने-सामने है. जनरल असीम मुनीर अब पाकिस्तान में आय दिन हो रही घटनाओं के पीछे सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वह हालिया घटनाओं को लेकर शहबाज शरीफ को घेर रहे हैं. पाकिस्तान जिस आतंकवाद की आग में जल रहा है, उससे उठ रहा धुआं तो पाकिस्तान में तख्तापलट की ओर ही इशारा कर रहा है. इसका सबूत खुद आर्मी चीफ मुनीर देते नजर आ रहे हैं. वह बीएलए के बहाने शहबाज शरीफ पर निशाना साध रहे हैं और उनकी रकार को कमजोर शासन बता रहे हैं.
जी हां, पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर ने हालिया घटनाओं को लेकर शहबाज शरीफ सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने पाकिस्तान में सुरक्षा की गिरावट के लिए राजनेताओं को दोषी ठहराया. संयुक्त संसदीय समिति को सुरक्षा ब्रीफिंग में उन्होंने साफ-साफ कहा कि उग्रवाद से लड़ने के लिए बेहतर प्रशासन की जरूरत है और पाकिस्तान को एक कठोर राज्य बनाने पर जोर दिया है. उन्होंने सवाल किया कि पाकिस्तान कब तक कमजोर शासन के कारण लोगों की जान कुर्बान करता रहेगा. मुनीर की यह बात इस बात का इशारा करती है कि उनकी नजर में शहबाज शरीफ सरकार बेहतर नहीं है और वह कमजोर है.
अब सवाल है कि आखिर पाकिस्तान की आवाम को मुनीर यह क्या संदेश दे रहे हैं? यही न कि शहबाज से देश संभल नहीं रहा. उग्रवाद और आतंरिक आतंकवाद से लड़ने में उनकी सरकार सक्षम नहीं है. पाकिस्तान को मजबूत नेतृत्व की जरूरत है. सेना ही पाकिस्तान को कठोर राज्य बना पाएगी. दरअसल, बलूचों को मोहरा बनाकर आर्मी चीफ मुनीर पाकिस्तान में तख्तापलट की पटकथा लिख रहे हैं. पाकिस्तान में भारत की तरह ही लोकतंत्र का शासन है. लोकतंत्र में सरकार अपना काम करती है. पाकिस्तानी आर्मी का काम है देश की सुरक्षा करना. अपने काम पर फोकस करने के बजाय मुनीर अब सरकार को ज्ञान और नसीहत दे रहे हैं. ऐसे में उनकी मंशा पर क्यों न सवाल उठे. ऐसा लग रहा है कि वह वही गंदा खेल खेलने में जुट गए हैं, जो कभी दशकों पहले परवेज मुशर्रफ ने शहबाज शरीफ के भाई नवाज शरीफ के साथ खेला था.
जी हां, मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर भी अपने भाई जैसा हाल होने का खतरा मंडरा रहा है. अब मन में यह सवाल उठता है कि आखिर परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ के साथ क्या किया था. दरअसल, जैसे मौजूदा आर्मी चीफ मुनीर बलोचों से जंग और पाक में हो रहे हमलों का ठीकरा शहबाज शरीफ पर फोड़ रहे हैं, ठीक उसी तरह आज से 25 साल पहले परवेज मुशर्रफ ने कारगिल हार का ठीकरा नवाज शरीफ फर फोड़ा था.
जी हां, परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को 12 अक्टूबर 1999 को एक सैन्य तख्तापलट के जरिए सत्ता से बेदखल किया था. उस समय मुशर्रफ पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे. कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद यह हुआ था. जबकि कारगिल युद्ध के मास्टरमाइंड और रणनीतिकार खुद परवेज मुशर्रफ थे. उन्होंने ही पाक की ओर से कारगिल युद्ध (मई-जुलाई 1999) में अहम भूमिका थी. उनके नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना और उत्तरी लाइट इन्फैंट्री ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ की थी. नवाज शरीफ को इसकी भनकर नहीं थी. कहते हैं कि नवाज शरीफ को इसके बारे में तब पता चला जब अटल बिहारी वाजपेयी ने उनसे संपर्क किया था.