लंदन|…. ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ का निधन 8 सितंबर को हुआ था, जिसके बाद उनके बड़े बेटे किंग चार्ल्स तृतीय ने राजगद्दी संभाल ली है. अभी उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई लेकिन चार्ल्स के राजा घोषित हो जाने का कई जगहों पर विरोध होने लगा है.
महारानी के निधन के बाद पूरा ब्रिटेन शोक में डूबा हुआ है लेकिन इसके साथ-साथ किंग चार्ल्स का विरोध भी हो रहा है. लोगों का कहना है कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है. हालांकि विरोध करने वाले अल्पसंख्यक हैं.
एएफपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में जो लोग राजशाही का अंत देखना चाहते हैं वो लोग अल्पसंख्यक हैं. YouGov के एक पोल के मुताबिक ब्रिटेन के 22 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि देश को निर्वाचित राज्य प्रमुख की जरूरत है.
वहीं 66 प्रतिशत लोग शाही परिवार के ही लोगों को देखना चाहते हैं. YouGov के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 44 प्रतिशत ब्रितानी रोये जब उन्हें पता चला कि महारानी का निधन हो गया है.
शाही परिवार के प्रति अपनी “संवेदना” व्यक्त करने के बाद, गणतंत्र आंदोलन जल्दी ही अपने महत्वपूर्ण रुख पर लौट आया जब चार्ल्स को एक भव्य समारोह में राजा घोषित किया गया.
सोमवार को ब्रिटेन की संसद के सामने से एक महिला को गिरफ्तार किया गया क्योंकि वह ‘नॉट माई किंग’ का बोर्ड दिखा रही थी. उसका कहना था कि बिना सहमति के राजा बनना ठीक नहीं है. विरोधियों का कहना है कि नए राजा की घोषणा लोकतंत्र का अपमान है.
महारानी के निधन के बाद YouGov पोल ने संकेत दिया कि चार्ल्स की लोकप्रियता पहले के मुकाबले तेजी से बढ़ी है. जो लोग सोचते थे कि वह अच्छा काम करेंगे, उनकी संख्या बढ़कर 63 प्रतिशत हो गई, जो मई में केवल 32 प्रतिशत थी.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के एक संवैधानिक विशेषज्ञ रॉबर्ट हेज़ेल ने कहा है कि आधुनिक समय में, ब्रिटेन में गणतंत्र बनने के लिए बहुत कम समर्थन मिला है यानी लोग शाही परिवारों को ही देखना चाहते हैं.