करीब तीन दशक से इजराइल फिलिस्तीन और “हमास” समेत अन्य आतंकी संगठनों से जूझ रहा है. इसी को लेकर आए दिन इजराइल और फिलिस्तीन में गोलाबारी भी सुनाई देती है. हमास को लेकर कई देशों ने प्रतिबंध भी लगा रखा है.
यहूदी देश इजराइल अकेले ही फिलिस्तीन और हमास का मुकाबला करता रहा है. इजराइल ने एक बार फिर इस आतंकी संगठन और जवाब देने के लिए कमर कस ली है. हालांकि इस बार इजरायल का निशाना हमास नहीं है बल्कि फिलिस्तीनी का एक और आतंकी संगठन “इस्लामिक जिहाद ग्रुप” के खिलाफ इजराइल ने मोर्चा संभाला हुआ है.
गाजा पट्टी में इजराइल की एयर स्ट्राइक तीसरे दिन भी जारी रही. इसमें अब तक 36 लोग मारे जा चुके हैं. फिलिस्तीन की ओर से भी इजराइल पर रॉकेट अटैक हुए हैं. लड़ाई रोकने के लिए मध्यस्थ के तौर पर मिस्र का एक डेलिगेशन रविवार को गाजा पहुंचा.
इस बीच इजराइल के प्रधानमंत्री येर लैपिड ने कहा है कि इस्लामिक जिहाद के खिलाफ शुरू किए गए “ऑपरेशन ब्रेकिंग डॉन” ने अपने मकसद को हासिल कर लिया है. हम इसके लास्ट स्टेज में हैं. इजराइल का फिलिस्तीन को जवाब देने के लिए चलाया जा रहा ऑपरेशन ब्रेकिंग डॉन दुनिया भर में सुर्खियों में बना हुआ है. गजा पट्टी पर असली कब्जा एक अन्य मिलिशिया गुट हमास का है.
हालांकि इजरायल ने इस पूरे ऑपरेशन में हमास को बिल्कुल भी निशाना नहीं बनाया. वो नहीं चाहता था कि संघर्ष फैले और इससे ज्यादा नुकसान हो. ये लड़ाई अभी फिलीस्तीनी इस्लामिक जिहाद ग्रुप और इजरायल के ही बीच चल रही है, जिससे हमास को दूर रखा गया है. फिलीस्तीनी इस्लामिक जिहाद ग्रुप हमास का भी प्रतिद्वंदी संगठन है.
बता दें कि साल 2019 में भी इजरायल ने जब फिलीस्तीनी इस्लामिक जिहाद ग्रुप के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया था, तब भी हमास को उसने उससे दूर रखा था.
गौरतलब है कि हमास फिलिस्तीन में काम करने वाला एक हथियारबंद इस्लामिक चरमपंथी संगठन है. हमास शुरू से ही इजरायल के अस्तित्व का विरोध करता रहा है. यह पूरे फलस्तीनी क्षेत्र में इस्लामी राष्ट्र की स्थापना करना चाहता है. बता दें कि हमास का गठन 1987 के जन आंदोलन के दौरान शेख अहमद यासिन ने किया था.
इसका प्रमुख उद्देश्य इजरायली कब्जे से फलस्तीनी क्षेत्र को छुड़ाकर इस्लामी देश की स्थापना करना है. हमास के मुख्य रूप से दो धड़े हैं, पहला- राजनीतिक और दूसरा सशस्त्र गुट. हमास की राजनीतिक इकाई ने गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक इलाके में कई अस्पताल और स्कूल बनवाए हैं. इतना ही नहीं, हमास की राजनीतिक इकाई यहां के लोगों की सामाजिक और धार्मिक मामलों में सहायता करती है.