सत्ता से बाहर होने के बाद इमरान खान कई मौकों पर भारत सरकार की तारीफ कर चुके हैं. अब एक बार फिर उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की लाखों पाकिस्तानियों के सामने जमकर तारीफ की है.
लाहौर में एक रैली के दौरान इमरान ने भारत की आजाद सोच की तारीफ की है. इमरान ने अपने मंच से विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सुनवाया और भारत की विदेश नीति की तारीफ की. इस दौरान उन्होंने शहबाज शरीफ की सरकार की जमकर आलोचना की.
ट्विटर पर शेयर किए गए एक वीडियो में इमरान खान ने कहा, ‘अब मैं आपको दो मुल्कों के फॉरेन मिनिस्टर दिखाना चाहता हूं. पहले हिंदुस्तान के विदेश मंत्री को (अमेरिका ने) हुक्म दिया कि आप रूस से तेल न खरीदें.
गौर से सुनें, हिंदुस्तान अमेरिका का रणनीतिक सहयोगी है. हमारा अमेरिका के साथ कोई गठबंधन नहीं है. जब अमेरिका ने हिंदुस्तान से कहा कि आप रूस से तेल न खरीदें तो उनके विदेश मंत्री ने क्या कहा, देखें.’
वीडियो खत्म होने के बाद इमरान बोले, ‘सुना? जिनको समझ में नहीं आया, मैं समझाता हूं. विदेश मंत्री से उन्होंने कहा कि रूस से तेल मत खरीदो. जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि तुम कौन होते हो हमें बताने वाले? यूरोप रूस से तेल खरीद रहा है. हमारे लोगों को जरूरत है, हम खरीदेंगे. यह होता है आजाद मुल्क.’
इमरान खान ने ना सिर्फ भारत की तारीफ की बल्कि पाकिस्तान सरकार पर हमला बोला. इमरान खान ने कहा, ‘मैं इतना ज़्यादा तार्किक तो नहीं हूं लेकिन ये बताइये कि क्या रूस से गैस खरीदना युद्ध को फंडिंग नहीं है. क्या सिर्फ भारतीय पैसा और भारत आया तेल ही युद्ध को फंडिंग है ? लेकिन यूरोप में आ रही गैस फंडिंग नहीं है ? ये पूरा नैरेटिव 9 बार गढ़ा गया. बेहद निचले स्तर पर ये पूरा नैरेटिव गढ़ा गया ये इसलिए था कि उस समय सारे मार्केट खुले थे. यूरोप के देश, पश्चिमी देश, अमेरिका अगर चिंतित हैं तो उन्होंने ईरान के तेल को बाजार में क्यों आने दिया.
जो वीडियो इमरान ने दिखाया उसमें विदेश मंत्री अपनी यूरोप यात्रा के दौरान एक पत्रकार के उस सवाल का जवाब देते हैं जिसमें उनसे पूछा गया- क्या देश हित के लिए आप इस युद्ध में पैसा लगा रहे हैं? इससे जवाब में विदेश मंत्री जयशंकर कहते हैं, ‘क्या रूस से गैस खरीदना युद्ध में पैसा लगाना नहीं है? क्यों सिर्फ भारत का पैसा और भारत आने वाला तेल ही युद्ध की फंडिंग है यूरोप आने वाली गैस नहीं? अगर यूरोपीय व पश्चिमी देशों और अमेरिका को इतनी चिंता है तो वे क्यों ईरान और वेनेजुएला के तेल को बाजार में आने की अनुमति नहीं देते?’