चीन काफी समय से ताइवान पर नजर गड़ाए हुए हैं. इस बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के उप निदेशक डेविड कोहेन ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चाहते हैं कि उनकी सेना 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने में सक्षम हो जाए. सीएनएन पत्रकार केटी बो लिलिस के मुताबिक कोहेन ने खुद कहा था कि शी ताइवान पर एक निश्चित आक्रमण की तैयारी नहीं कर रहे हैं, बल्कि “ताइवान पर बलपूर्वक नियंत्रण करने की क्षमता” चाहते हैं.
लिलिस ने कोहेन के हवाले से कहा, ‘जिनपिंग ने ऐसा करने का फैसला नहीं किया है, लेकिन उन्होंने अपनी सेना से उसे ऐसी स्थिति में के लिए तैयार रहने को कहा कि अगर हालात आ जाएं तो वह कब्जा कर सके.’
बीजिंग ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह शांतिपूर्ण तरीकों से ताइवान को चीनी मुख्य भूमि के साथ फिर से जोड़ना चाहता है. अगस्त में प्रकाशित एक श्वेत पत्र में, चीनी सरकार ने गैर-सैन्य साधनों के लिए इस प्रतिबद्धता की पुष्टि की, लेकिन ‘सभी आवश्यक उपाय करने का विकल्प’ सुरक्षित रखा.
ताइवान ने श्वेत पत्र में निर्धारित ‘एक देश, दो प्रणाली’ दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि केवल ताइवान के लोग ही अपना भविष्य तय करेंगे. च्यांग काई-शेक के नेतृत्व में राष्ट्रवादी ताकतें 1949 में कम्युनिस्टों से गृहयुद्ध हारने के बाद द्वीप पर भाग गए और ताइवान ने खुद को अलग कर लिया.
अमेरिकी सरकार ने 1970 के दशक से ताइवान पर चीन की संप्रभुता को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी है, लेकिन उसका समर्थन नहीं किया है. अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी के ताइपे के दौरे के बाद पिछले महीने ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव चरम पर पहुंच गया था.
चीन ने इस यात्रा को ताइवान की स्वतंत्रता का एक मौन समर्थन माना, और ताइवान के आसपास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू करके इसका जवाब दिया.