आतंकवाद को लेकर चीन का दोहरा चरित्र एक बार फिर उजागर हुआ है. चीन ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के बेटे आतंकी हाफिज तलहा सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचा लिया.
यूएन में भारत ने आंतकी हाफिज सईद के आतंकी बेटे तलह सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया था, इसे अमेरिका ने भी समर्थन दिया लेकिन जिनपिंग के हिडन एजेंडे की वजह से प्रस्ताव रुक गया.
चीन ने वीटो लगाकर आतंकी तलह सईद को बचा लिया. इसके बाद अब सवाल यही उठ रहे हैं कि आखिर दुनिया के सामने आतंकवाद से लड़ने का दावा करने वाला चीन बार-बार आतंकियों को क्यों बचा रहा है. आखिर क्यों जिनपिंग लगातार आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान के साथ खड़ा नज़र आता है?
दो दिन में ये दूसरी बार है, जब चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादी को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने की भारत और अमेरिकी की कोशिश में अड़ंगा डाला है. इससे पहले चीन ने 18 अक्टूबर को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी शाहिद महमूद को ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में डालने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव को यूएन में रोक दिया था.
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से भारत लगातार लड़ा रहा है. इंटरनेशनल स्टेज पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की भारत ने हर बार कोशिश की है. लेकिन चीन बार-बार पाकिस्तान को बचाने में अपनी पूरी ताकत झोंक देता है.
2022 में ही ये पांचवीं बार है जब चीन ने आतंकवादियों को ब्लैक लिस्ट में शामिल करने के भारत-अमेरिका के प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया है। सितंबर में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर अगस्त में जैश-ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर और जून में लश्कर और जमात-उद-दावा के आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को ड्रैगन ने बचाया. अब दो दिन के भीतर दो आतंकियों को भी चीन ने खुला समर्थन दिया है.
चालबाज चीन की इन हरकतों से साफ है कि वो आंतकवाद को लगातार बढ़ावा दे रहा है इसके लिए उसकी पसंद पाकिस्तान है. दुनिया के हर मंच पर चीन आतंकवाद से लड़ने के दावे तो खूब करता है लेकिन जब आतंक के खिलाफ एक्शन की बात आती है तो चीन हमेशा दोहरा चरित्र दिखाता है. वो बार-बार आतंकियों को सपोर्ट करने से बाज नहीं आता.