एलन मस्क की एक कंपनी है न्यूरलिंक, जो ऐसी माइक्रोचिप बना रही है जिसे इंसानी दिमांग में घुसेड़ कर उसे सुपर ह्यूमन बनाया जा सकता है. मामला अभी टेस्टिंग में अटका है और टेस्टिंग सफल भी हुई है. एलन मस्क की न्यूरलिंक ने अपने एक्सपेरिमेंट के दौरान एक बंदर से कम्यूटर टाइपिंग करवा डाली है. इस कम्प्यूटर टाइपिंग करते हुए बंदर का वीडियो एलन मस्क ने खुद शेयर करते हुए अपनी न्यूरलिंक चिप के बारे में बताया है.
न्यूरलिंक क्या है-:
यह मस्क की कंपनियों में से एक है. जो जीव विज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर रिसर्च करती है. न्यूरलिंक का मकसद ऐसी चिप बनाना है जिसे इंसान के दिमाग में फिट किया जा सके. इसके बाद इंसान का दिमांग बिलकुल एक सुपर कम्यूटर जैसा काम करने लगेगा.
तब कुछ सर्च करने के लिए गूगल की मदद नहीं लेनी पड़ेगी. आप खुद एक गूगल बन जाएंगे. खैर इस चिप को फिट करने का दूसरा अहम मकसद भी है. वो है तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम से जुडी बिमारियों का इलाज करना. जैसे कोई लकवा ग्रसित है तो ब्रेन में इस चिप के फिट होने से उसकी डैमेज न्यूरो सेल्स को मूवमेंट करने का सिग्नल मिलने लगेगा.
बंदर से टाइपिंग कैसे करवा दी-:
न्यूरलिंक ने एक्सपेरिमेंट के तौर पर अपनी चिप बंदर के दिमाग में फिट कर दी, इस चिप को एक रिमोट से जोड़ा गया. रोमोट लिए हुए व्यक्ति ने बंदर के दिमाग को सिग्नल दिया और मंकी फंकी हो गया मतलब किसी बच्चे की तरह कम्प्यूटर का माउस पकड़कर अल्फाबेट्स को सेलेक्ट करके सेंटेंस लिखने लगा. न्यूरलिंक का यह लक्ष्य किसी साइंस फिक्शन हॉलीवुड फिल्म जैसा लगता है. जिसमे दिखाया जाता है कि कैसे दिमाग के अंदर वैज्ञानिक लोग चिप घुसेड़ कर सामने वाले को कंट्रोल कर लेते हैं. लेकिन यह विज्ञान अब फिक्शन नहीं रहा बल्कि वास्तविकता में बदल चुका है.