अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला ने बताया कि भू-वैज्ञानिक व भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही मौसम सम्बन्धित विषमता उत्तराखण्ड को कई आपदाओं के प्रति अत्यन्त संवेदनशील बनाती हैं और इनके कारण प्रत्येक वर्ष जन-धन की भारी क्षति होती है.
आपदाओं से होने वाली इस क्षति को जन-जागरूकता के द्वारा कम किया जा सकता है. आपदा उपरान्त किये जा रहे राहत, बचाव एवं पुनर्वास सम्बन्धित कार्यों के प्रचार-प्रसार से प्रभावित जन समुदाय का मनोबल बनाये रखने में मीडिया सहयोगी की भूमिका निभा सकता है.
कार्यशाला में सूचनाओं के तीव्र प्रेषण तथा मीडिया प्रबन्धन पर विशेष बल दिया गया तथा कवरेज के दौरान मीडिया अपने कर्तव्य का निर्वहन संवेदनशीलता के साथ लोकहित की निजता को सुरक्षित रखते हुए कर सके, इस पर ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया गया. आपदा के समय मीडिया की भूमिका खासी अहम हो जाती है.
मीडिया के माध्यम से जनता के बीच ऐसी सूचनाएं जानी चाहिए, जिससे प्रतिकूल परिस्थितियां पैदा न हों. चूंकि दैवीय आपदा जैसी घटनायें आकस्मिक रूप से होती है अतः इन घटनाओं में कम से कम जान-माल का नुकसान हो इसके लिये जन जागरूकता के साथ तथ्यों की सही जानकारी आम जनता तक पहुंचना जनहित के लिये जरूरी होती है.
इस मीडिया कार्यशाला में वक्ताओं ने इस पर भी ध्यान देने की जरूरत बतायी कि आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों के नियमित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाय, साथ ही आपदा प्रबंधन से सम्बन्धित गतिविधियों की जानकारी समय समय पर मीडिया को उपलब्ध करायी जाने की व्यवस्था सुनिश्चित हो.
इस मौके पर नोडल अधिकारी सूचना मनोज श्रीवास्तव, प्रभारी समाचार दूरदर्शन राघवेश पाण्डे, अनुपम त्रिवेदी, सुभाष गुप्ता तथा मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया.