देश कि सुरक्षा हो या संस्कृति का विकास, उत्तराखंड ने हमेशा एक अहम भूमिका निभाई है| अगर फिल्मी जगत कि बात करे तो हिन्दी फिल्मों के कई दिग्गज इसे है जिनका उत्तराखंड से संबंध रहा है| यह सिलसिला चेतन आनंद से शुरु होता है और लेखक अक्षत घिनडियाल , जिन्होंने हाल ही में ‘बधाई हो’ और ‘बधाई दो’ जैसी फिल्मे लिखी हैं| गुरूदत्त, मोहन सहगल, जौहरा सहगल, देवानंद, शक्ति सामंत, विजय आनंद, कामना चंद्रा, राजीव राय, दीपा मेहता, मालसेन, शाद अली इस सिलसिले कि महत्वपूर्ण कड़िया हैं|
आज हम बात करेंगे उस फिल्म कि जिसने भारतीय सिनेमा को विश्व पटल पर स्थान दिलाया| फिल्म थी चेतन आनंद द्वारा निर्देशित ‘नीचा नगर’ जिसने 1946 के ‘कान’ फिल्म महोत्सव में गोल्डन पाल्म पुरुस्कार जीता| चेतन दून स्कूल में इतिहास और अंग्रेजी पढाते थे, चेतन आनद के दूँ प्रवास के दौरान उनके एक जर्मन मित्र ने उनको दो पुस्तके भेंट की, ‘दि फिल्म फार्म’ और ‘दि फिल्म सीन’ इन दो पुस्तकों को पढ़ने के बाद चेतन ने दून स्कूल कि नौकरी छोड़ के बंबई जाने का विचार बनाया ओर उद्देश्य था निर्देशक बनना|
फिल्म में चेतन के सहयोगी थे ख्वाजा अहमद अब्बास और राष्ट्रीयवादी समाचार दैनिक कौमी आवाज के संपादक हयात उल्लाह अंसारी| मोहन सहगल इस फिल्म में चेतन आनंद के मुख्य सहायक थे| जोहरा सहगल ने इस फिल्म में अभिनय के अलावा नृत्य निर्देशन भी किया| उनके पति कामेशवर सहगल इस फिल्म के कला निर्देशक थे| मशहूर सितारवादक पंडित रवि शंकर ने इस फिल्म में संगीत दिया| एक युवा का समूह एक फिल्म बनाता है, उस फिल्म को अंतराष्टीय खियाती मिलती है उस फिल्म से जुड़े छः लोग है जिनका संबंध उत्तराखंड से है| – मनोज पऩडानी