उत्तराखंड में अवैध रूप से किए गए अतिक्रमण के विरुद्ध वन विभाग की ओर से कार्रवाई जारी हो चुकी है। बता दे कि सैटेलाइट से चिह्नीकरण के साथ ही धरातल पर भौतिक सत्यापन किया जा रहा है। साथ ही धर्मस्थलों को नोटिस भेजे जा रहे हैं।
इसी के साथ वन विभाग ने स्वयं अतिक्रमण न हटाने की स्थिति में संबंधित के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। वन भूमि पर अतिक्रमण करने पर छह माह की जेल हो सकती है।
हालांकि मुख्यमंत्री के निर्देश पर अवैध धर्मस्थलों को वन क्षेत्र से हटाने के लिए वन विभाग की कसरत जारी है। इसी के साथ इन पर कार्रवाई को लेकर प्रदेशभर में अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
बता दे कि सीसीएफ ने सभी प्रभागीय वनाधिकारियों को अवैध धर्म स्थलों के चिह्नीकरण और उन्हें हटाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए प्रथम चरण में सभी अवैध धर्म स्थलों की गहन जानकारी जुटाई जा रही है। सैटेलाइट से चिह्नीकरण करने और भौतिक सत्यापन कर संपूर्ण जानकारी जुटाई जा रही है।
हालांकि सीसीएफ ने कहा कि अवैध धर्म स्थलों को नोटिस भेजकर अतिक्रमण हटाने को कहा गया है। ऐसा न करने वालों को वन संरक्षण अधिनियम के तहत छह माह की सजा का प्रविधान है। वहीं, प्रभागीय वनाधिकारियों ने अवैध धर्म स्थलों के चिह्नीकरण और संपूर्ण जानकारी जुटाने के लिए एक सप्ताह का और समय मांगा है।
इसी के साथ सीसीएफ ने बताया कि अगले सप्ताह से प्रदेश में अवैध धर्म स्थलों को हटाने में तेजी लाई जाएगी। इसमें अभी वर्ष 1980 के बाद प्रदेश में निर्मित अवैध धर्म स्थलों की जानकारी जुटाई जा रही है। अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।