मई के महीने में पड़ रही भीषण गर्मी ने पूरे प्रदेश को बेहाल कर दिया है, जिसका असर न केवल घाटी क्षेत्र पर बल्कि ऊपरी पहाड़ी गांवों में भी देखा जा रहा है। बृहस्पतिवार को मुख्यालय में तापमान 38 डिग्री तक पहुंच गया, जो इस क्षेत्र के लिए असामान्य है। केदारघाटी के गुप्तकाशी, ऊखीमठ, फाटा, सोनप्रयाग और गौरीकुंड जैसे स्थानों में सुबह से ही चटक तेज धूप ने आमजन और यात्रियों को परेशान कर रखा है।
गुप्तकाशी के वयोवृद्ध वचन सिंह पंवार के अनुसार, यह पहली बार है जब पहाड़ के ऊपरी क्षेत्रों में सूरज की तपन इतनी असहनीय हो गई है। रमेश जमलोकी उत्तराखंडी का मानना है कि पर्यटन और तीर्थाटन के नाम पर पहाड़ों में बढ़ती मानव गतिविधियों ने गर्मी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
वातानुकूलित होटलों, रेस्टोरेंट और लॉज के निर्माण से पहाड़ों की प्राकृतिक ठंडक धीरे-धीरे खत्म हो रही है, जिससे स्थानीय पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस भीषण गर्मी ने न केवल जनजीवन को प्रभावित किया है, बल्कि पहाड़ों के पर्यावरण और प्राकृतिक संतुलन पर भी गंभीर खतरा पैदा कर दिया है।