देश में पहली बार हाथियों की गणना डीएनए सैंपल के जरिये कराई गई है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश के सभी अभयारण्यों में इस गणना के काम को पूरा किया है। हाथी के गोबर से डीएनए सैंपल लेकर कैमरा ट्रैप का प्रयोग गणना के लिए किया गया है।
बता दे कि गणना की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है। इसे जल्द केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय जारी करेगा। भारतीय वन्यजीव संस्थान में 34वें वार्षिक शोध कार्यशाला में निदेशक वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि वन्यजीव संस्थान लगातार हाथियों के संरक्षण के लिए कार्य कर रहा है।इनकी सही संख्या पता लगाने के लिए पूरे देश में डीएनए आधारित गणना कराई गई है। पहले ब्लाक काउंट के आधार पर हाथियों को गिना जाता था, इसमें कई बार सटीक संख्या पता नहीं चल पाती थी। इसलिए गणना के प्रचलित पांच-छह तरीकों में डीएनए आधारित गणना को चुना गया।
निदेशक विरेंद्र तिवारी ने बताया कि डीएनए प्रोफाइलिंग से हाथियों के कॉरिडोर को पहचानने और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में भी मदद की उम्मीद है। आसाम और केरल समेत कई राज्यों में मंदिरों और संस्थाओं के पास करीब 1000 हाथी हैं, प्रोफाइलिंग से ऐसे हाथियों की जानकारी जुटाई जा सकेगी। इसके साथ ही हाथियों की तस्करी को रोकने में बड़ी मदद मिलेगी।