कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान और ड्रोनियर एविगेशन प्राइवेट लिमिटेड के बीच एमओयू के हस्ताक्षर किए गए। जिसमें 12वीं पास युवाओं को ड्रोन उड़ाने का रिमोट पायलट प्रशिक्षण दिया जाएगा।
बुधवार को भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के निदेशक डॉ. एम. मधु की मौजूदगी में ड्रोन पायलट प्रशिक्षण के लिए कंपनी के साथ एमओयू किया गया। जिसमें संस्थान के वरिष्ठतम जलविज्ञानी डॉ. ओजस्वी, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एम मुरुगानंदम, पीके सिंह, एचएन शर्मा, कंपनी से डॉ. राधेश्याम सिंह ने हस्ताक्षर किए।
उन्होंने बताया कि इस तरह की ड्रोन पायलट प्रशिक्षण सुविधाएं देश में बहुत सीमित हैं। उत्तराखंड में यह अपनी तरह की पहली सुविधा होगी। इस मौके पर संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. चरण सिंह, डॉ. आरके सिंह, डॉ. जेएमएस तोमर, डॉ.गोपाल कुमार आदि मौजूद थे।