उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में केदारनाथ-बदरीनाथ चारधाम मार्ग पर ऋषिकेश में बाईपास के निर्माण के लिए हाई पावर कमेटी ने मंजूरी दे दी है। इसी तरह, कुमाऊं मंडल के टनकपुर-पिथौरागढ़ मार्ग पर चंपावत बाईपास के निर्माण के लिए स्टेयरिंग कमेटी ने भी हरी झंडी दिखा दी है।
बता दे की ये दोनों मार्ग न केवल स्थानीय आवागमन के लिए बल्कि सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जिससे क्षेत्र के विकास और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
इन दोनों महत्वपूर्ण मार्गों पर बाईपास बनने से सीमांत क्षेत्रों में सामान्य वाहनों की आवाजाही में सुधार होगा। इसके साथ ही, बार्डर की ओर तेजी से मूवमेंट के लिए सेना को भी सहायता मिलेगी।
ऋषिकेश चारधाम यात्रा के अलावा सीमांत क्षेत्रों की यात्रा के लिए भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यात्रा सीजन के दौरान इस मार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ जाता है, जिससे कई बार जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
ऋषिकेश के नेपाली फार्म से श्यामपुर रेलवे क्रॉसिंग होते हुए ढालवाला तक एलिवेटेड फोरलेन और ढालवाला से ब्रह्मपुरी तक पांच टनल के माध्यम से 17 किमी लंबे बाईपास के निर्माण की योजना बनाई गई है। इसी तरह कुमाऊं में टनकपुर से पिथौरागढ़ के बीच, लोहाघाट में एक बाईपास की योजना प्रस्तावित की गई है, जो नेपाल और चीन सीमा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
चंपावत में भी 10 किमी लंबे बाईपास का प्रस्ताव है। इन दोनों बाईपास परियोजनाओं पर कार्य शुरू करने के लिए हाई पॉवर कमेटी और स्टेयरिंग कमेटी की आवश्यकता थी, और अब दोनों कमेटियों ने इन महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है। इन बाईपास के निर्माण से सीमांत क्षेत्रों में वाहनों का आवागमन सुगम होगा और सुरक्षा बलों की आवाजाही में भी सहूलियत मिलेगी।