मसूरी में नोटिफाइड और अन-नोटिफाइड एस्टेट का सर्वे पूरा होने से पूर्व उन आवासीय और व्यावसायिक निर्माणों को लेकर चिंता बढ़ गई हैं जो सर्वे से सीधे प्रभावित होने जा रहे हैं। नगर पालिका मसूरी और एमडीडीए ने दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं।
फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट लागू होने के बाद मसूरी में 1042 आवासीय-व्यावसायिक निर्माण उन क्षेत्रों में हुए जहां पर्यावरण मंत्रालय की पाबंदी लागू थी। इसमें 90 नक्शे नगर पालिका मसूरी से पास कराए गए, जबकि 952 नक्शे वन विभाग की एनओसी के बाद एमडीडीए ने पास किए। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद इन 1042 भवन स्वामियों की चुनौतियां बढ़ना तय है। मसूरी के 218 प्राइवेट एस्टेट का सर्वे चल रहा है। अब मात्र 16 एस्टेट का सर्वे रह गया है। सर्वे लगभग पूरा होने से यह तय है कि पाबंदी क्षेत्र में निर्मित मकानों के लिए चुनौती खड़ी होगी।
बता दे कि 1980 से पहले के निर्माणों को कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। इससे पूर्व नगर पालिका नक्शे पास करती थी। 1980 से पूर्व के होटलों और स्कूलों के निर्माणों को इसी के चलते मरम्मत और नक्शे की छूट मिलती है। मसूरी के लोगों का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट और पर्यावरण मंत्रालय के नियमों का पालन करते हुए भी सरकार को कोई रास्ता निकालना चाहिए। देवी गोदियाल कहते हैं, सरकार कोई नई नीति बनाकर रास्ता तलाशे। पुष्कर सिंह पटवाल के अनुसार कंपाउडिंग का विकल्प सरकार को देना चाहिए। संजय अग्रवाल कहते हैं, समाधान का प्रयास भी सरकार ही कर सकती है