यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला राज्य बना उत्तराखंड, 10 प्वाइंट में जानें अब क्या-क्या होंगे बदलाव

उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी पोर्टल लॉन्च किया है. उत्तराखंड में अब रिलेशनशिप, शादी, लिव-इन, बहुविवाह और संपत्ति जैसी चीजें पहले जैसे नहीं रहेंगी. अब प्रदेश में शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया है. राज्य में हर धर्म के लोगों के लिए तालाक के लिए एक जैसे कानून होगा. बहुविवाह और हलाला जैसी प्रथाएं अवैध हो गई हैं.

आइये जानते हैं, प्रदेश में अब क्या-क्या बदलेगा-:

शादी का रजिस्ट्रेशन 6 महीने के अंदर
अब सभी विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया हैड. लोगों को ऑनलाइन ही अपने विवाह का रजिस्ट्रेशन करवाने की सहूलियत मिलेगी. उन्हें इसके लिए किसी भी सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाने की जरुरत नहीं होगी. 27 मार्च 2010 के बाद हुए सभी विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया है. शादी के छह माह के अंदर-अंदर अब रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.

लिन-इन का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य
अब लिव-इन रिलेशनशिप के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य कर दी गई है. कपल्स को अब रजिस्ट्रार के सामने अपने संबंध की घोषणा करनी होगी. लिवइन रिलेशनशिप को खत्म करने के लिए भी रजिस्ट्रार को जानकारी देनी होगी. अब लिव-इन में पैदा हुए बच्चे को वैध माना जाएगा. लिव-इन रिलेशनशिप के टूटने पर महिलाएं गुजारा भत्ता का मांग कर पाएंगी. बिना जानकारी दिए एक माह से अधिक लिवइन में रहे तो 10 हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है.

बेटा-बेटी दोनों संपत्ति में बराबर के हकदार
संपत्ति के अधिकार में बच्चों में अब कोई भेदभाव नहीं होगा. यानी अब प्राकृतिक संबंधों के आधार पर जन्में, अन्य तरीकों से जन्म और लिवइन में जन्में बच्चों को संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलेगा. सभी धर्म और समुदायों में बेटी को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे.

माता-पिता को भी मिलेगा संपत्ति में अधिकार
किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद संपत्ति के अधिकार को लेकर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा. मतभेद की स्थिति उत्पन्न होने के लिए मृतक की संपत्ति पर उसकी पत्नी, बच्चों और माता-पिता का समान अधिकार होगा.

हलाला-बहुविवाह जैसी प्रथाओं पर रोक
प्रदेश में अब हलाला जैसी प्रथा को अवैध माना जाएगा. बहुविवाह पर भी रोक लगा दी गई है.

18 साल से पहले नहीं हो सकती शादी
हर धर्म अपने-अपने रीतियों के अनुसार, शादी कर सकते हैं. हालांकि, हर धर्म में विवाह की न्यूनतम आयु लड़कों के लिए 21 तो लड़कियों के लिए 18 साल अनिवार्य है. मुस्लिम लड़कियों का निकाह भी अब 18 साल से पहले नहीं हो सकता है.

पूरी संपत्ति की वसीयत की छूट
अब कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है. अब तक मुस्लिम, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे पर अब सभी के लिए समान नियम होंगे.

अब तलाक का भी होगा रजिस्ट्रेशन
अब शादी की तरह ही तालाक के लिए भी रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है. वेबपॉर्टल की मदद से ये होगा.

दूसरे धर्म के बच्चे को नहीं ले सकते गोद
अब हर धर्म के लोग बच्चे को गोद ले सकते हैं. हालांकि, दूसरे धर्म के बच्चों को गोद लेने पर मनाही है.

UCC के दायरे से अनुसूचित जनजातियां बाहर
खास बात है कि अनुच्छेद 342 के तहत आने वाली अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी से बाहर रखा गया है. ऐसा इसलिए कि उनके रीति रिवाज संरक्षित हो सके. इसके अलावा, ट्रांसजेंडर समुदाय की परंपराओं को भी नहीं बदला गया है.

सरकार ने जारी की वेबसाइट
शादियों और लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक खास वेबसाइट बनाई है. यहां महज 500 रुपये में लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. इस वेबसाइट को विजिट करने के लिए यहां क्लिक करें- ucc.uk.gov.in.

मुख्य समाचार

राशिफल 01-03-2025: महीने के पहले दिन क्या कहते है आपके सितारे, जानिए

मेष:मेष राशि के जातकों के लिए आज दिन खुशनुमा...

चमोली हिमस्खलन: सेना के जवान बचाव कार्य में जुटे, 57 मजदूरों में 32 को बचाया

उत्तराखंड| शुक्रवार (28 फरवरी) को चमोली जिले में माणा...

Topics

More

    राशिफल 01-03-2025: महीने के पहले दिन क्या कहते है आपके सितारे, जानिए

    मेष:मेष राशि के जातकों के लिए आज दिन खुशनुमा...

    Related Articles