उत्तराखंड-देवभमि की पहचान धार्मिक दृष्टि से देश विदेशों तक है. वहीं इसकी लोक संस्कृति और गायन भी संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर देती है. इसके पीछे देवभूमि के गीतों को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने और उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है. आज देवभूमि के जन-जन के लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी का जन्मदिन है.
12 अगस्त 1949 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे नरेंद्र सिंह नेगी आज 71 वर्ष के हो गए हैं. अपने चहेते लोक गायक नेगी के जन्मदिन पर आज समूचा उत्तराखंड उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से ढेरों शुभकामनाएं दे रहा है. नेगी को पहाड़ की आवाज प्रख्यात करने के लिए भी जाना जाता है.
पिछले 45 वर्षों से गीतों के माध्यम से नेगी उत्तराखंड के समाज वन को हर रंग से सराबोर करते रहे हैं. उन्होंने पहाड़ को झुमाया भी है, गुदगुदाया भी है, रुलाया भी है. पहाड़ की पीड़ा को सामने रखा है और जरूरत पड़ने पर उसकी आवाज भी बनकर उभरे हैं.
उत्तराखंड को जानना है तो नरेंद्र सिंह नेगी को सुनना होगा
कहा जाता है कि अगर उत्तराखंड के बारे में जानना है तो नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों को सुनना होगा. यह इसलिए कि नहीं ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति को परंपरा गौरव गाथा प्यार प्रेम देवी देवताओं के भजन सुख दुख जनसंदेश सभी विषयों पर गाने लिखे और अपनी आवाज में पिरोया है. सिंगर नेगी ने अभी तक 1000 से अधिक गाने गाए हैं.
लेकिन उत्तराखंड में अभी तक कई नए लोग कलाकार है लेकिन नेगी का स्थान कोई नहीं ले सका है. उनके पुराने गानों की लोकप्रियता अभी भी बनी हुई है. इसका सबसे बड़ा करण उनके शब्दों के बोल और धुन आवाज के साथ साथ पहाड़ के प्रति उनका गहरा प्रेम दर्शाता है. इतने बड़े लोकप्रिय गायक होने के बाद भी नेगी को अभी बड़ा पुरस्कार न मिल पाने का मलाल भी है.
हालांकि संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार के रूप में उन्हें पिछले वर्ष नवाजा गया था. नेगी इस पुरस्कार से खुश हैं, लेकिन बड़ा पुरस्कार न मिलने पर उनकी पीड़ा झलक आती है. अभी तक पद्म पुरस्कार न मिलने पर वह कहते हैं कि कई बार लोगों ने मुझसे कहा कि मैं आवेदन करूं, लेकिन मांगकर पुरस्कार लेना मुझे नहीं आता.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
जन्मदिन विशेष: नरेंद्र सिंह नेगी ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति को अपनी गायकी से गुदगुदाया-झुमाया, रुलाया भी
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