उत्तराखंड का स्थापना दिवस-09 नवंबर प्रदेशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. बीते 22 सालों में उत्तराखंड ने बहुत कुछ हासिल किया है, तो दूसरी ओर बहुत कुछ अभी करना भी बाकि है. उत्तराखंड सरकार विकास पर फोकस की बात कर रही है. उत्तराखंड की अभी कुछ उम्मीदें भी हैं
उम्मीदें
एयर कनेक्टिविटी को बढ़ावा-:
उत्तराखंड में बीते 22 साल में एक भी नया एयरपोर्ट नहीं बना. हां, यूपी के समय बने एयरपोर्ट से हवाई सेवाओं का संचालन जरूर शुरू हुआ. राज्य गठन के समय उत्तराखंड में नियमित हवाई सेवा नहीं थी. 2004 में जौलीग्रांट एयरपोर्ट से सेवाओं का संचालन हुआ. अब यहां से 12 शहरों के लिए हवाई सेवा उपलब्ध है. पंतनगर में भी एयरपोर्ट शुरू हो चुका है. साथ ही, पिथौरागढ़, गौचर, चिन्यालीसौड़, श्रीनगर, टिहरी जैसे शहर हेली नेटवर्क से जुड़े हैं. हालांकि, यहां भी नियमित सेवाएं बरकरार रखना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.
डिजिटल उत्तराखंड, ई-गवर्नेंस की पहल
उत्तराखंड की उम्मीदों में ई-गवर्नेंस को एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है. राज्य सचिवालय में अब 90 फीसदी तक नई फाइलें ई-ऑफिस के जरिए तैयार हो रही हैं. आईटी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए आईटीडीए का गठन किया गया है, जो अधिकाधिक नागरिक सेवाओं को डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराने के लिए कॉमन प्लेटफार्म तैयार कर रहा है. आईटीडीए अपणि सरकार पोर्टल के बाद अब मोबाइल ऐप जारी कर रहा है, जिसमें विभिन्न विभागों की साढ़े चार सौ से अधिक नागरिक सेवाएं लोगों को ऑनलाइन मिल जाएंगी.
राज्यभर में रेल नेटवर्क का विस्तार
उत्तराखंड में रेल सुविधाओं का नेटवर्क आगे बढ़ रहा है. ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन इसमें प्रमुख है. चारधाम यात्रा को आसान करने वाली यह रेलवे लाइन तेजी से आकार ले रही है. साथ ही, डोईवाला से यमुनोत्री रूट पर भी रेल लाइन प्रस्तावित है. रेल निगम इसका प्राथमिक सर्वे कर चुका है. हरिद्वार में रुड़की-देवंबद रेललाइन भी जल्द आकार लेना शुरू कर देगी. भूमि अधिग्रहण शुरू हो चुका है. इसके बनने से दून से दिल्ली का सफर आसान हो जाएगा. कुमाऊं मंडल में बागेश्वर-टनकपुर लाइन को लेकर कार्यवाही जारी है.
हर क्षेत्र में महिलाओं का सशक्तिकरण
राज्य गठन के बाद महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ी है. महिलाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलना शुरू हुआ, साथ ही पंचायतीराज और स्थानीय निकाय चुनावों में भी आरक्षण हासिल है. उत्तराखंड में महिलाओं के नाम संपत्ति खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी में छूट भी मिल रही है.
इस कारण महिलाएं पहले के मुकाबले अब आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम हुई हैं. इस बीच, राज्य सरकार ने विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी तीन लाख 67 हजार महिलाओं को अगले पांच साल में ‘लखपति दीदी’ बनाने की योजना शुरू कर दी है.