सिलक्यारा सुरंग के निर्माण में विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे निर्मित किया जाए, तो हादसे से बचा जा सकता है। सिलक्यारा सुरंग भी इसी कारणवश हादसे का शिकार हुआ था, जिसका कारण निर्माण संबंधी चूक थी। हिमालयन सोसाइटी ऑफ जियो साइंटिस्ट की कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने सुरंग और स्लोप के निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर अपनी राय रखी।
बुधवार को ऑडिटोरियम में आयोजित कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन में मुख्य अतिथि के रूप में सचिव आपदा प्रबंधन, डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि पहाड़ों में किसी भी प्रोजेक्ट की शुरुआत से पहले, उसे अच्छी तरह से पड़ताल करना चाहिए। पारसन ओवरसीज के एमडी, संजय राणा ने स्लोप स्थायित्व के महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया।
सुरंग निर्माण के विशेषज्ञ केडी शाह ने अपने अनुभव साझा किया कि पहाड़ के अंदर सुरंग बनाते समय सावधानी बरतना बहुत महत्वपूर्ण है। अनुशासन भी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि हमारे देश में इस क्षेत्र में कुशल कामगारों की कमी है। सोसाइटी के उपाध्यक्ष बीडी पटनी ने यह बताया कि जल्दबाजी में बनाई जा रही सुरंगों की डीपीआर हादसे के रूप में आ रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम वैज्ञानिक तरीके से सुरंग निर्माण करें तो कोई भी हादसा नहीं होगा। उन्होंने पहाड़ों में सुरंगों को सबसे सुरक्षित सड़क का विकल्प बताया। उन्होंने कहा कि हिमालय की चट्टानों के बीच काम करने के लिए आपको फील करना जरूरी है। हर कदम पर चट्टानों का मिजाज बदल जाता है। कहीं कठोर हैं तो कहीं भुरभुरी। इसी दृष्टिकोण से निर्माण किया जाना चाहिए। सिलक्यारा सुरंग में भी ऐसी ही चूक हुई थी, जिससे हादसा हुआ था।