उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में इस बार ग्लोबल टाइगर डे मनाया जा रहा है. साल 2010 में ग्लोबल टाइगर डे की शुरुआत की गई थी जिसे लगातार पूरी दुनिया में मनाया जाता है. भारत में इस बार ग्लोबल टाइगर डे की मेजबानी उत्तराखंड को मिली है. ग्लोबल टाइगर डे को उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में मनाया जाएगा और 29 जुलाई को रामनगर स्थित कॉर्बेट नेशनल पार्क में ग्लोबल टाइगर डे की शुरुआत की जाएगी. इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. वहीं भारत में मौजूद तमाम टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर व डिप्टी डायरेक्टर के साथ टाइगर कंजर्वेशन में लगे तमाम लोग वर्ल्ड टाइगर डे के मौके पर कॉर्बेट नेशनल पार्क में एकजुट होंगे.
इसको लेकर उत्तराखंड के तमाम फॉरेस्ट अधिकारी तैयारियों में जुटे हुए हैं. उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक समीर सिन्हा से ने बताया कि विश्व के अनेक देश रूस में सेंट पीटर्सबर्ग में मिले थे और बाघ संरक्षण के लिए एक महत्वकांक्षी योजना बनाई थी. इसका मूल उद्देश्य था कि 2022 तक जो बाघों की संख्या है उसको दो गुनी की जाए. भारत ने इस लक्ष्य को समय से बहुत पहले पूरा कर लिया है और उसी के उपलक्ष्य में ग्लोबल टाइगर डे हर वर्ष मनाया जाता है. हम सबके लिए बहुत सम्मान की बात है कि इस वर्ष भारत सरकार ने ये निर्णय लिया है कि ये आयोजन कार्बेट पार्क में किया जाए और उसके लिए विशेष रूप से मैं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री का धन्यवाद करना चाहूंगा उन्हीं के पहल पर इसे उत्तराखंड में किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में बाघों की संख्या का आंकड़ा जारी करते हुए बताया था कि अब भारत में 3167 बाघ मौजूद हैं. जबकि यह आंकड़ा 2018 में 2967 हुआ करता था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवल भारत में बड़े बाघों की संख्या बताई थी लेकिन उत्तराखंड में कितने बाघ बड़े हैं इसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आ पाया था. आपको बता दें साल 2018 में हुए टाइगर सेंसस के अनुसार भारत में 2967 बाघ थे तो वहीं उत्तराखंड में 442 बाघ पाए गए थे. जबकि कॉर्बेट नेशनल पार्क में 266 बाघ मौजूद थे, अब कल इस बात की भी घोषणा हो जाएगी के उत्तराखंड में कितने बाघ बड़े हैं और कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या कितनी पहुंच चुकी है.
उत्तराखंड व देश के वन्य जीव प्रेमी भी इस बात पर नजर बनाए हुए हैं कि इस बार कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कितने बाघ बढ़ने वाले हैं. आपको बता दें कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अभी भी अपनी धारण क्षमता से कहीं ज्यादा बाघों को पाल रहा है. वहीं बाघों की संख्या बढ़ने से जहां कॉर्बेट नेशनल पार्क के अधिकारी और वन्य जीव प्रेमी खुश दिखाई देंगे तो वहीं प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है. क्योंकि बाघों की संख्या बढ़ने से मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ती हैं. इसको लेकर जहां एक और खुशी का माहौल होगा तो वहीं दूसरी ओर चिंता की लकीरें भी माथे पर दिखाई दे सकती हैं.