द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी विश्व विख्यात भगवान केदारनाथ के कपाट भैयादूज के पावन पर्व पर बंद कर दिये गये हैं. शीतकाल के छह महीने के लिए विधि-विधान से कपाट बंद किए गए.
इससे पहले पूर्व ब्रम्हबेला पर बाबा केदार की विशेष पूजा-अर्चना की गई और उन्हें भोग लगाया गया. इसके बाद बाबा केदार के स्वयंभू लिंग को भस्म, घी, अनाज, भृंगराज सहित अन्य पूजार्थ सामग्रियों से समाधि दी गई.
अब छह महीने के लिये बाबा केदार समाधि में लीन हो गए हैं. 29 अक्टूबर को बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी और आगामी अगले 6 महीने तक यहीं पर बाबा केदार की पूजा-अर्चना होगी.
केदारनाथ धाम के कपाट गुरुवार की सुबह 8.00 बजे विधि-विधान और पौराणिक परंपराओं के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. कपाट बंद होने के अवसर पर हजारों भक्त केदारनाथ में मौजूद रहे. समाधि देने के बाद बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली मंदिर से बाहर आई और मंदिर की परिक्रमा करने के बाद अपने शीतकालीन गद्दस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई. बाबा केदार की डोली की अगुवाई आर्मी बैंड और स्थानीय वाद्य यंत्र कर रहे हैं, जबकि हजारों भक्त भी बाबा केदार की पैदल डोली यात्रा में साथ चल रहे हैं.
27 अक्टूबर को बाबा केदार की पैदल डोली यात्रा रामपुर पहुंचेगी और यहीं पर रात्रि विश्राम करेगी. वहीं, शुक्रवार को बाबा केदार की डोली द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये गुप्तकाशी पहुंचेगी. 29 अक्टूबर को डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी. इसके बाद 6 महीने तक बाबा केदार के दर्शन यहीं पर होंगे.
इस बार केदारनाथ धाम में रिकॉर्ड तीर्थ यात्री पहुंचे. यह संख्या 15 लाख 61 हजार 882 रही. बता दें, कोरोना महामारी के बाद यात्रा के चलने से केदारघाटी के लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए हैं और वहां के स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दिखी.