देहरादून के जिला जेल में गुनाह माता-पिता ने किया, लेकिन सलाखों के पीछे पांच मासूम, बाल आयोग पहुंचा हाल जानने

जेल में बंद माता-पिता के साथ उनके मासूम बच्चे भी मजबूरन सलाखों के पीछे रहने को मजबूर होते हैं, हालांकि उनके निर्दोष होने के बावजूद। जेल नियमावली के अनुसार, इन बच्चों को ऐसी सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिससे उनका बचपन कैद जैसा महसूस न हो और उन्हें अपनी मां का समुचित देखभाल प्राप्त हो सके।

लेकिन इन नियमों का सही से पालन हो रहा है या नहीं, इसका जायजा लेने के लिए मंगलवार को राज्य बाल आयोग की अध्यक्ष, डॉ. गीता खन्ना ने अपनी टीम के साथ सुद्धोवाला जेल का अचानक निरीक्षण किया।

जेल में महिला कैदियों के साथ छह साल से कम उम्र के पांच बच्चे पाए गए, जिनसे डॉ. खन्ना ने बातचीत कर उनकी स्थिति का जायजा लिया। जेल नियमावली के अनुसार, सजायाफ्ता कैदियों के बच्चे छह साल की उम्र तक अपनी माता के साथ जेल में रह सकते हैं, क्योंकि इस उम्र में बच्चों को मां की देखभाल और पोषण की आवश्यकता होती है।

निरीक्षण के दौरान आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण और अनु सचिव डॉ. एसके सिंह ने जेल की व्यवस्था का निरीक्षण किया और इसे संतोषजनक पाया।

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