देहरादून| उत्तराखंड में अब धार्मिक कामों के लिए जमीन लेना आसान नहीं होगा. इसके लिए पहले जिलाधिकारी और फिर शासन यानी उत्तराखंड सरकार से मंजूरी लेनी होगी. इसको लेकर भू-कानून समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
समिति ने भू आवंटन को लेकर हिमाचल की तर्ज पर सख्त भू कानून बनाने की पैरवी की है. सिफारिश में कहा गया है कि निवेश के नाम पर उतनी ही जमीन खरीद और आवंटन को मंजूरी दी जाए, जितनी वास्तविक आवश्यकता हो.
भू-कानून समिति ने उत्तराखंड में भूमि खरीद के स्थान पर लीज पर देने की व्यवस्था पर भी जोर दिया है. बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने इससे पहले कहा था कि भू-कानून समिति की सिफारिशों का अध्ययन करके व्यापक जनहित, प्रदेश हित में सरकार भू-कानून में संशोधन करेगी. अब भू-कानून समिति ने 80 पेज की रिपोर्ट में 23 सिफारिशें कर दी हैं.
सिफारिश पेश करने वाली भू-कानून समिति के सदस्य अजेंद्र अजय ने कहा है कि देवभूमि में मस्जिद और मजारों का धड़ल्ले से अवैध निर्माण देखा जा रहा है क्योंकि नारायण दत्त तिवारी की सरकार में जमीन खरीद की परमिशन दी गई थी.
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि भू-कानून समिति की सिफारिशों का अध्ययन करके व्यापक जनहित, प्रदेश हित में सरकार भू-कानून में संशोधन करेगी। समिति ने 80 पेज की रिपोर्ट में 23 सिफारिशें की हैं.
सिफारिश पेश करने वाली भू-कानून समिति के सदस्य अजेंद्र अजय ने कहा है कि देवभूमि में मस्जिद और मजारों का धड़ल्ले से अवैध निर्माण देखा जा रहा है क्योंकि नारायण दत्त तिवारी की सरकार में जमीन खरीद की परमिशन दी गई थी. मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि भू-कानून समिति की सिफारिशों का अध्ययन करके व्यापक जनहित, प्रदेश हित में सरकार भू-कानून में संशोधन करेगी. समिति ने 80 पेज की रिपोर्ट में 23 सिफारिशें की हैं
बता दें कि वर्तमान कानून के तहत जिलाधिकारी के स्तर से कृषि, उद्यान के लिए कृषि भूमि खरीद को स्वीकृति दी जाती है. समिति ने रिपोर्ट में बताया है कि कृषि, औद्यानिकी की बजाय रिसॉर्ट या निजी बंगले बना कर भूमि का दुरुपयोग हो रहा है. इससे पहाड़ में लोग भूमिहीन हो रहे हैं. इससे रोजगार सृजन भी नहीं हो रहा है.