Joshimath Subsidence: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा-नैनीताल हाईकोर्ट ही करेगा मामले की सुनवाई

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में जोशीमठ मामले की सुनवाई शुरू होने पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने उत्तराखंड के वकील से पूछा कि वहां वर्तमान स्थिति क्या है.

उत्तराखंड सरकार ने कहा कि वहां केंद्र सरकार और राज्य सरकार पूरी तरह एक्टिव हैं. उत्तराखण्ड सरकार ने कहा हमारी राज्य सरकार पूरा प्रयास कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने वालों से कहा कि इस मामले में उत्तराखण्ड हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है.

तो बेहतर होगा आप उत्तराखंड हाई कोर्ट में अपील दाखिल करें. सीजेआई जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब उत्तराखंड हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है, तो देखना होगा कि यहां सुनवाई का औचित्य है या नहीं.

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में आज ऐसे ही मामले की सुनवाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने की वजह से वहां सुनवाई नहीं हुई. याचिकाकर्ता ने कहा कि हम मौलिक अधिकार को लेकर आएं हैं.

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है, तो ऐसे में जो मांगें यहां याचिका में हैं, वो हाईकोर्ट में भी की जा सकती हैं. ऐसे में हम याचिकाकर्ता को इजाजत देते है कि वो हाईकोर्ट जाएं. हाईकोर्ट लंबित याचिकाओं के साथ इनकी याचिका की सुनवाई करे.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड 16 जनवरी की वाद सूची के अनुसार चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ , न्यायमूर्ति पी एस नरसिंह और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने वाले थे.

बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और स्कीइंग के लिए मशहूर औली का प्रवेश द्वार जोशीमठ भू-धंसाव के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है. जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है, मकानों में, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं. स्थानीय लोगों ने कहा है कि कई मकान झुक गए हैं और धंस रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को यह कहते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था कि स्थिति से निपटने के लिए ‘लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं’ हैं और सभी महत्वपूर्ण मामले उसके पास नहीं आने चाहिए. अदालत ने सरस्वती की याचिका को 16 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील द्वारा याचिका का उल्लेख करने और इसे तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किए जाने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा था कि ‘हर महत्वपूर्ण चीज हमारे पास लाने की जरूरत नहीं है. इसे देखने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं हैं. हम इसे 16 जनवरी को सूचीबद्ध करेंगे.’

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