उत्तराखण्ड में शिक्षा विभाग अब अस्थायी व्यवस्था के तहत शिक्षकों की नियुक्ति करेगा. यह नियम उन स्कूलों के लिए है जहां शिक्षक मेडिकल लीव पर गए हैं या ढूढ़े नहीं मिल रहे. बताया गया कि शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने भी अपनी सहमति दे दी है.
ऐसे में सवाल यह है कि बड़े विभागों में शुमार शिक्षा विभाग क्या शिक्षकों का बंटवारा ठीक से नहीं कर रहा. सवाल ये भी है कि अगर ऐसी ही कामचलाऊ व्यवस्था रही तो छात्रों की पढ़ाई का क्या होगा.
आपको बता दें कि प्रदेश में प्राइमरी एजुकेशन में ही 30 हजार से ज्यादा स्कूल में 2 हजार से ज्यादा पोस्ट पर शिक्षकों की कमी है. पिथौरागढ़ जैसे जिले में तो 364 शिक्षकों के पोस्ट खाली हैं. जबकि 400 से ज्यादा स्कूलों में 1 ही शिक्षक हैं.
वहीं राजधानी देहरादून में 800 से ज्यादा ऐसे स्कूल हैं जहां संख्याबल के हिसाब से शिक्षकों की संख्या ज्यादा है. जबकि 600 के करीब स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चे तो है लेकिन शिक्षकों की पोस्ट खाली है.
ऐसे में शिक्षा विभाग अब अस्थायी व्यवस्था के तहत शिक्षकों का अप्वाइंटमेन्ट करने की तैयारी में है. जिसमें हर स्कूल में प्रिंसिपल को अधिकार होगा कि वो स्कूल में सब्जेक्ट टीचर्स के पैरामीटर को आंकते हुए अस्थायी तौर पर शिक्षक रख सकता है. इसके लिए 50 हजार रूपए प्रिंसिपल को दिये जाएंगे.