उत्तराखंड में लैंड जिहाद के खिलाफ धामी सरकार की कार्रवाई जारी है। बता दे कि वन भूमि पर अतिक्रमण कर अवैध रूप से बनाई गईं 300 से अधिक मजारों को ढहाया जा चुका है, लेकिन खास बात यह है कि इनमें से अधिकतर मजारों का कोई वारिस सामने नहीं आया है।
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड में सड़क से लेकर जंगल तक और शहर से लेकर गांव तक बीते कुछ साल में तेजी से वन भूमि पर मजारें बना दी गईं।
हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जांच हुई तो हजार के आसपास अतिक्रमण कर बनाई गई मजारें पाई गईं।
इतना ही नहीं लिहाजा, इन पर अब बुलडोजर चलाया जा रहा है। खास बात यह है कि इन मजारों के नीचे कोई अवशेष भी नहीं मिल रहा है और न ही कोई व्यक्ति इन पर दावे के लिए आगे आ रहा है। भाजपा पहले से ही मजारों को लेकर लैंड जिहाद की आशंका जताती रही है।
आपको बता दे कि अब जब विशेष अभियान के तौर कार्रवाई शुरू हुई तो खुफिया एजेंसियां भी चौकन्नी हो गई हैं। अधिकतर मजारों को तोड़े जाने का कहीं कोई विरोध भी नहीं हो रहा है।
इसी के साथ बहुत से लोग इन्हें मुस्लिम समाज से जोड़कर देखते हैं, जबकि कुछ मजारों के संचालन करते हिंदू समाज के लोग पाए गए हैं।
नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते के अनुसार, वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने से पहले वन अधिनियम के तहत नोटिस भेजे जाने की कार्रवाई की जाती है, लेकिन अधिकतर मजारों के मामलों में कोई वारिस सामने नहीं आ रहा है।
हालांकि ऐसे में निर्विघ्न रूप से मजारों को तोड़े जाने की कार्रवाई की जा रही है। अब तक प्रदेशभर में 314 मजारों को तोड़ा जा चुका है। 35 मंदिर भी हटाए गए हैं। यह सभी धार्मिक स्थल वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए गए थे।