उत्‍तराखंड

उत्तराखंड में नया भू-कानून पारित, बाहरी लोग 11 जिलों नहीं खरीद सकेगे जमीन

उत्तराखंड में नए भू-कानून का विधेयक विधानसभा से पारित हो गया. सख्त भू-कानून के जरिए राज्य सरकार ने हरिद्वार, उधमसिंहनगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 जिलों में प्रदेश से बाहर के लोगों के लिए कृषि और उद्यान भूमि खरीदने पर रोक लगा दी है. इसके तहत मुख्य तौर पर 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के समय किए गए संशोधनों को समाप्त किया गया है.

विधानसभा बजट सत्र के दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा के दौरान कहा कि यह संशोधन भू सुधारों में अंत नहीं अपितु एक शुरुआत है. राज्य सरकार ने जन भावनाओं के अनुरूप भू सुधारों की नींव रखी है. भू प्रबंधन एवं भू सुधार पर आगे भी अनवरत रूप से कार्य किया जाएगा.

सीएम धामी ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य की जनता की जनभावनाओं एवं अपेक्षाओं के अनुरूप निर्णय लिया है. सरकार कई नए महत्वपूर्ण मामलों पर ऐतिहासिक निर्णय ले रही है. उन्होंने कहा हम उत्तराखंड के संसाधनों, जमीनों को भूमाफियाओं से बचाने का संकल्प है. जिन उद्देश्यों से लोगों ने जमीन खरीदी है, उसका उपयोग नहीं दुरुपयोग हुआ, ये चिंता हमेशा मन में थी. उन्होंने कहा उत्तराखंड में पर्वतीय इलाकों के साथ मैदानी इलाके भी हैं. जिनकी भौगोलिक परिस्थिति एवं चुनौतियां अलग-अलग है. उन्होंने कहा जब से स्व. श्री अटल जी ने उत्तराखंड राज्य के लिए औद्योगिक पैकेज दिया तब से राज्य सरकार बड़ी संख्या में औद्योगीकरण की ओर जा रही है. ऐसे में राज्य में आने वाले असल निवेशकों को कोई दिक्कत न हो, निवेश भी न रुके. उसके लिए इस नए संशोधन/कानून में हमने सभी को समाहित किया है.

सीएम धामी ने कहा कि राज्य सरकार सबकी जन भावनाओं के अनुरूप कार्य कर रही है. हम लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास रखते हैं. बीते कुछ वर्षों में देखा जा रहा था कि प्रदेश में लोगों द्वारा विभिन्न उपक्रम के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार देने के नाम पर जमीनें खरीदी जा रही थी. उन्होंने कहा भू प्रबंधन एवं भू सुधार कानून बनने के पश्चात इसपर पूर्ण रूप से लगाम लगेगी. इससे असली निवेशकों और भू माफियाओं के बीच का अंतर भी साफ होगा. राज्य सरकार ने बीते वर्षों में बड़े पैमाने पर राज्य से अतिक्रमण हटाया है. वन भूमि और सरकारी भूमियों से अवैध अतिक्रमण हटाया गया है. 3461.74 एकड़ वन भूमि से कब्जा हटाया गया है. यह कार्य इतिहास में पहली बार हमारी सरकार ने किया. इससे इकोलॉजी और इकॉनमी दोनों का संरक्षण मिला है.

सीएम धामी ने कहा कि राज्य में कृषि एवं औद्योगिक प्रयोजन हेतु खरीद की अनुमति जो कलेक्टर स्तर पर दी जाती थी. उसे अब 11 जनपदों में समाप्त कर केवल हरिद्वार और उधम सिंह नगर में राज्य सरकार के स्तर से निर्णय लिए जाने का प्रावधान किया गया है. किसी भी व्यक्ति के पक्ष में स्वीकृत सीमा में 12.5 एकड़ से अधिक भूमि अंतर्करण को 11 जनपदों में समाप्त कर केवल जनपद हरिद्वार एवं उधम सिंह नगर में राज्य सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा आवासीय परियोजन हेतु 250 वर्ग मीटर भूमि क्रय हेतु शपथ पत्र अनिवार्य कर दिया गया है. शपथ पत्र गलत पाए जाने पर भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी. सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों के अंतर्गत थ्रस्ट सेक्टर एवं अधिसूचित खसरा नंबर भूमि क्रय की अनुमति जो कलेक्टर स्तर से दी जाती थी, उसे समाप्त कर, अब राज्य सरकार के स्तर से दी जाएगी.

सीएम धामी ने कहा इसके साथ की नए कानून में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. उन्होंने कहा सरकार ने गैरसैंण में भी हितधारकों, स्टेकहोल्डर से विचार लिए थे. इस नए प्रावधानों में राज्यवासियों के विचार लिए गए हैं, सभी के सुझाव भी लिए गए हैं. सभी जिलों के जिलाधिकारियों एवं तहसील स्तर पर भी अपने जिलों में लोगों से सुझाव लिए गए. सभी के सुझाव के अनुरोध ये कानून बनाया गया है. उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य मूल स्वरूप बना रहे, यहां का मूल अस्तित्व बचा रहे. इसके लिए इस भू सुधार किए गए हैं. उन्होंने कहा राज्य की डेमोग्राफी बची रहे इसका विशेष ध्यान रखा गया है.

सीएम धामी ने बताया कि प्रदेश में औद्योगिक, पर्यटन, शैक्षणिक, स्वास्थ्य तथा कृषि एवं औद्यानिक प्रयोजन आदि हेतु आतिथि तक राज्य सरकार एवं कलेक्टर के स्तर से कुल 1883 भूमि क्रय की अनुमति प्रदान की गयी. उक्त प्रयोजनों/आवासीय प्रयोजनों हेतु क्रय की गयी भूमि के सापेक्ष कुल 599 भू-उपयोग उल्लंघन के प्रकरण प्रकाश में आये हैं, जिनमें से 572 प्रकरणों में उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश-2001) की धारा 166/167 के अन्तर्गत वाद योजित किये गये हैं तथा 16 प्रकरणों में वाद का निस्तारण करते हुए 9.4760 हे. भूमि राज्य सरकार में निहित की गयी है. अवशेष प्रकरणों में कार्यवाही की जा रही है.

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