भडेलीगाड यमुनोत्री वैकल्पिक मार्ग पर एक घोड़े की मौत ने वन विभाग की लचर कार्यप्रणाली को उजागर कर दिया है। इस मार्ग की दुर्दशा का खामियाजा जानवरों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले साल भी इसी 2.5 किलोमीटर लंबे मार्ग पर कई घोड़ों और खच्चरों की मौत हुई थी।
वन विभाग की अनदेखी और मार्ग की खराब हालत के कारण ये दुर्घटनाएँ बार-बार हो रही हैं, जिससे विभाग की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे मामलों से पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है, इसलिए इस मार्ग की तत्काल मरम्मत आवश्यक है।
सुरक्षा और सुगम आवाजाही के संदर्भ में यह मार्ग अत्यंत संवेदनशील है। भडेलीगाड यमुनोत्री वैकल्पिक मार्ग में खड़ी चढ़ाइयों के साथ ऊंचे-ऊंचे रास्ते हैं, जिससे श्रद्धालुओं के साथ-साथ बेजुबान जानवरों की आवाजाही भी जोखिमपूर्ण हो जाती है।