हरिद्वार कुंभ मेला अवधि घटाने पर सरकार के सामने सबसे बड़ी परेशानी महाशिवरात्रि पर्व को लेकर है। यदि नोटिफिकेशन अप्रैल में होता है तो फिर महाशिवरात्रि पर्व सामान्य स्नान के तौर पर ही सम्पन्न होगा। ऐसे में शैव सम्प्रदाय के मतावलंबियों को मनाने के लिए सरकार को ऐठी चोटी का जोर लगाना होगा।
हरिद्वार महाकुंभ की अवधि को लेकर शासन स्तर में लंबे समय से विचार विमर्श चल रहा है। अब तक माना जा रहा है था कि सरकार 27 फरवरी को माध पूर्णिमा स्नान के दिन नोटिफकेशन कर देगी। लेकिन अब मुख्य सचिव ने एक अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच ही मेला कराने की स्पष्ट जानकारी दी हैं।
लेकिन इससे पहले 11 मार्च महाशिवरात्रि पर्व पड़ रहा है, जो कुंभ का पहला शाही स्नान भी है। महाशिवरात्रि स्नान शैव मतावलंबियों का बड़ा स्नान होता है, ऐसे में इस स्नान को अधिकारिक कुंभ स्नान से बाहर निकालने पर संत समाज की प्रतिक्रिया पर सरकार की नजर है।
सरकार की चिंता 11 मार्च से 12 अप्रैल के बीच की अवधि को लेकर है। इस अवधि में कोई भी स्नान नहीं पड़ रहा है, लेकिन यदि मेला नोटिफिकेशन हो जाता है तो सरकार को इस पूरी अवधि में हरिद्वार में कोविड प्रोटोकॉल संबंधित मानकों का पालन करना होगा।
जो अपने आप में कठिन काम होगा। इससे हरिद्वार में सामान्य काज काज के लिए आने जाने वाले लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए सरकार अधिकारिक मेला अवधि कम से कम रखने का प्रयास कर रही है।
हालांकि मेला अधिसूचना पर अभी शहरी विकास विभाग में प्रस्ताव ही तैयार किया जा रहा है। इस बारे में अंतिम निर्णय कैबिनेट में ही होगा। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक सरकार कुंभ अवधि को लेकर संतों से विचार विमर्श कर रही है, संतों की सहमति के आधार पर मेला अवधि तय की जाएगी।