देशभर में बड़े ही धूम धाम से दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है. हर साल की तरह इस साल भी दीपावली का त्यौहार सभी जगह जश्न के साथ मना. हालांकि उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में एक और दिवाली मनाई जाती है. दीपावली के 11 दिन बाद बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है. जिसको इगास बग्वाल के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में चलिए जानते है इस साल इगास बग्वाल कौन सी तिथि को पड़ रहा है.
कब है इगास बग्वाल?
कार्तिक शुक्ल की एकादशी को इगास का त्यौहार मनाया जाता है. इस साल इगास का त्यौहार 12 नवंबर यानी मंगलवार को पड़ रहा हैं. ऐसे में इस दिन लोग दीए जलाते है. साथ ही रात के समय सभी के साथ भैला खेलने की भी परंपरा है.
11 दिन बाद क्यों मनाई जाती है इगास बग्वाल
मान्यताओं की माने तो दिवाली का त्यौहार भगवान राम के अयोध्या लौटने पर मनाया जाता है. कार्तिन कृष्ण की अमावस्या को लोगों ने भगवान राम का दीए जलाकर स्वागत किया था. लेकिन गढ़वाल क्षेत्र में राम जी के वनवास से वापस लौटने की खबर 11 दिन बाद आई थी. यही कारण है कि पहाड़ में कार्तिक शुक्ल एकादशी को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है. जिसे बूढ़ी दिवाली या इगास बग्वाल भी कहते है. इस दिन गाय और बैल की पूजा की जाती है. रात को सभी पहाड़वासी इस दौरान पारंपरिक भैलो खेलकर जश्न मनाते है.
इगास से जुड़ी है वीर माधो सिंह भंडारी की कहानी
इगास की कहानी को वीर माधो सिंह भंडारी से भी जोड़ा जाता है. “बारह ए गैनी बग्वाली, मेरो माधी नि आई” ये गीत माधोसिंह भंडारी से जुड़ा हुआ है जो कि गढ़वाल रियासत के सेनापति थे. बात उस समय की है जब गढ़वाल रियासत में राजा महिपति शाह का शासन हुआ करता था और इस रियासत का सबसे बड़ा दुश्मन था तिब्बत.
गढ़वाल रियासत के राजा महिपति शाह ने अपने सेनापति माधोसिंह भंडारी को तिब्बत के राजा से युद्ध करने भेजा. इसके साथ ही उन्होंने माधोसिंह को ये आदेश भी दिया की दीपावली से एक दिन पहले तक युद्ध जीत कर सेना समेत तुम श्रीनगर लौट आना. राजा की आज्ञा पाकर माधोसिंह अपने दल बल समेत तिब्बत के राजा से युद्ध करने चले गए और इस युद्ध को जीत भी गए.
ऐसे शुरू हुई इगास बग्वाल की शुरूआत
माधोसिंह ने युद्ध तो जीत लिया लेकिन इसकी सूचना गढ़वाल रियासत तक नहीं पहुंच पाई और दीपावली आ गई. दीपावली तक कोई सूचना ना मिलने के कारण अफवाहें फैल गई कि गढ़वाली सेना युद्ध में मारी गई. राजा ने भी मान लिया कि उसकी सेना मारी गई. जिसके बाद राजा ने रियासत में ऐलान करवा दिया कि इस बार रियासत में दीपावली नहीं मनाई जाएगी.
शोक में डूबे गढ़वाल में दीपावली नहीं मनाई गई. लेकिन शोक में डूबे गढ़वाल के बीच खुशी की लहर तब आई जब सूचना मिली की तिब्बत युद्ध में माधो सिंह भंडारी की जीत हुई है और वो जल्द ही सेना के साथ श्रीनगर पहुंच जाएंगे. जिसके बाद राजा ने ऐलान करवाया कि अब दीपावली तभी मनाई जाएगी जब माधो सिंह भंडारी श्रीनगर पहुंचेंगे. दीपावली के 11 दिन बाद उन्होंने श्रीनगर में कदम रखा और इस दिन सारी रियासत को दुल्हन की तरह सजाया गया और रियासत में दीपावली मनायी गई. तभी से गढ़वाल में इगास बग्वाल की शुरूआत हुई.