उत्तराखंड के शहरी निकायों में हाउस टैक्स के सर्किल रेट से जुड़ जाने के बाद अब निकायों को हाउस टैक्स की रफ्तार, जिले की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के समान रखनी होगी। इस बात का उल्लेख शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक के नोट में किया गया है। सरकारी प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने इसकी पुष्टि की है। हालांकि, राज्य के नगरीय क्षेत्र के लोगों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े इसके लिए सरकार ने अगले पांच साल तक सालाना अधिकतम बढ़ोत्तरी पांच प्रतिशत तक सीमित रखी है।
प्रदेश सरकार ने हाउस टैक्स को सर्किल रेट से जोड़कर, नगर निकायों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है। उधर, केंद्र सरकार ने राज्यों को जिलों की जीडीपी की बढ़ोतरी की दर से ही निकायों का हाउस टैक्स भी बढ़ाने को कहा है। इस लिहाज से राज्य के बड़े जिलों में स्थित निकायों का हाउस टैक्स, छोटे जिलों के मुकाबले अधिक हो सकता है। बड़े शहरों में वैसे भी सर्किल रेट की दरें काफी ज्यादा हैं, इसलिए यहां हाउस टैक्स भी उसी अनुपात में बढ़ जाएगा।
प्रॉपर्टी कार्ड भी जल्द
निकायों के हाउस टैक्स कलेक्शन प्रक्रिया में सुधार करते हुए राज्य सरकार नगर निगमों में जीआईएस सर्वे आधारित प्रापर्टी कार्ड भी जारी कर रही है। इसके तहत प्रत्येक भवन का यूनिक आईडी कार्ड होगा, जिसमें भवन का आकार, कमरों की संख्या, मालिक का नाम, टैक्स का विवरण दर्ज होगा। इसके लिए निकायों में हाउस टैक्स रजिस्टर्ड ऑनलाइन किए जाने का काम तेजी से चल रहा है।
6.87 प्रतिशत थी जीडीपी दर
गत वर्ष विधानसभा में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य की जीडीपी वृद्धि दर 6.87 प्रतिशत आंकी गई थी। इस लिहाज से निकायों का हाउस टैक्स कलेक्शन भी सालाना इसी रफ्तार से बढ़ेगा। हालांकि यह जिलावार अलग अलग ही होगा।