लोकसभा सीट अल्मोड़ा से तीन बार सांसद रहे हरीश रावत को आज भी 1991 के चुनाव में मिली हार की कसक है। यदि वे इस चुनाव को जीत जाते तो उनकी केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने की प्रबल संभावनाएं थीं, जिससे उनकी राजनैतिक गतिविधियों में नई ऊर्जा और उत्साह की बौछार होती।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत की मिट्टी को न मैं भूला हूं, और न वे मुझे भूले हैं। लेकिन 1991 में मेरे हाथों एक कसक रह गई, जब मैंने लोकसभा चुनाव हारा, जो मेरे केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनने की संभावना को जगाने का मौका था।
अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र की जनता के सारे शिकायतों को भूलकर, कांग्रेस के पास इतिहास की इस कमी को दूर करने का मौका है। चार जिलों में सक्षम विधायक और पूर्व विधायक हैं जो काम करने के लिए तैयार हैं, उनमें से कई के पास मंत्री और मुख्यमंत्री बनने की क्षमता है।