असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी हरिद्वार के प्राचीन नारायणी शिला मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे। यहां पितरों के लिए पूजन करने के बाद उन्होंने कहा कि सनातन कभी खत्म नहीं हो सकता। बताया कि वह हर साल अमावस्या के दिन प्राचीन नारायणी शिला मंदिर आने की कोशिश करते है। आज भी वह पितृ अमावस्या के मौके पर नारायणी शिला मंदिर पहुंचे हैं।
पितृपक्ष की अमावस्या के चलते आज हर की पैड़ी हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। अमावस्या पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसे में इस पुण्य का लाभ लेने के लिए सुबह-सुबह ही श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने पहुंचे।माना जाता है कि यदि किसी को अपने पितरों की मृत्यु कि तिथि ना पता हो तो वह पितृ पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या को पितरों को पिंडदान तर्पण कर सकता है। इससे पितरों को मुक्ति और मोक्ष मिलता है।
हरिद्वार में स्थित नारायणी शिला में भगवान श्री हरि नारायण की कंठ से नाभि तक का हिस्सा है। नारायणी शिला के बारे में बताया जाता है कि यह श्री हरिनारायण का हृदय स्थल है। यहां पर आकर आप जो कुछ कहते हैं, वह भगवान को अपने हृदय में सुनाई देता है।