चमोली: पीएम मोदी ने किया 3400 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास

चमोली| पीएम मोदी ने शुक्रवार को सीमा पर स्थित उत्तराखण्ड के माणा गांव में आयोजित कार्यक्रम में 3400 करोड़ रूपए से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया. इनमें गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब दो नई रोपवे परियोजनाओं सहित दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं – माणा से माणा पास (एनएच – 07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच 107बी) शामिल हैं.

यात्रा का कम से कम 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों पर खर्च करें पर्यटक
पीएम ने माणा गांव के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किये गये स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि माताओं व बहनों ने बहुत अच्छा काम किया है.

पैकेजिंग वगैरह में मन प्रसन्न हो गया. पीएम ने वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि जहां भी जाएं एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं उसका कम से कम 5 प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें. इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जायेगी, आप कल्पना भी नही कर सकते.

सीमावर्ती गांवों में विकास जीवन का उत्साह हो
पीएम ने कहा कि कोविड काल में कोरोना की वैक्सीन पहाड़ों तक पहुंचाई गई. इसमें उत्तराखण्ड और हिमाचल में बेहतर काम किया गया. गरीब कल्याण योजना में उत्तराखण्ड के लाखों लोगों को लाभ मिला. डबल इंजन सरकार ने होम स्टे और स्किल डेवलपमेंट से युवाओं को जोड़ा है. पहाड़ी क्षेत्रों के युवाओं को एनसीसी से जोड़ रहे हैं. विकास कार्यों में तेजी आई है. पर्यटन का विस्तार हो रहा है. जल जीवन मिशन से गांवों तक नल से जल पहुंचाया जा रहा है.

मल्टी मॉडल कनेक्टीवीटी प्रदान करने के लिये काम किया जा रहा है. सागरमाला, भारतमाला की तरह अब पर्वतमाला परियोजना पर काम होने जा रहा है. रोपवे पर बहुत बड़ा काम होने जा रहा है. बॉर्डर के गांवों में चहल पहल बढ़नी चाहिए. विकास जीवन का उत्साह होना चाहिए. जो कभी गांव छोड़कर गये है, उनका वापस लौटने का मन करे, हमें ऐसे जिंदा गांव बनाने हैं.

सीमाओं पर बसा हर गांव देश का पहला गांव
पीएम ने सीएम धामी द्वारा माणा को भारत के अन्तिम गांव की बजाय देश का पहला गांव कहे जाने पर मुहर लगाते हुए कहा कि अब तो मेरे लिये भी सीमाओं पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है. पहले जिन इलाकों को देश के सीमाओं का अंत मानकर नजर अंदाज किया जाता था, हमने वहां से देश की समृद्धि का आरंभ मानकर शुरू किया. लोग माणा आएं , यहां डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है.

पीएम ने कहा कि माणा गांव से जुड़ी अपनी पुरानी स्मृति बताते हुए कहा कि आज से 25 वर्ष पहले जब वह उत्तराखण्ड में भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे एक अनजाने जीवन के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे तो उस समय उनके द्वारा माणा में उत्तराखण्ड भाजपा कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी, तो मेरे कार्यकर्ता नाराज भी हुए थे इतने दूर इतनी मेहनत से जाना पड़ेगा.

तब मेरे द्वारा कहा गया कि जिस दिन हमारे दिल में माणा गांव का महत्व पक्का हो जायेगा ना उस दिन उत्तराखण्ड की जनता के दिल में महत्व बन जायेगा. और उसी का परिणाम है, माणा गांव की मिट्टी की ताकत है आप सभी का आशीर्वाद है. माणा की धरती के आशीर्वाद से हमें दोबारा सेवा करने का मौका मिला है.

21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का
पीएम ने कहा कि आज का दिन बाबा केदार और बाबा बद्री विशाल के दर्शन करके उनका आर्शीवाद प्राप्त करके जीवन धन्य हो गया है तथा यह पल पल मेरे लिये चिरंजीवी हो गये हैं. उन्होंने कहा कि बाबा के सानिध्य में, बाबा के आदेश से, बाबा के कृपा से पिछले बार जब मैं आया था तो कुछ शब्द मेरे मुंह से निकले थे कि 21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का है. मैं आप सभी को बताना चाहूंगा कि वह शब्द मेरे नहीं थे, वे शब्द बाबा के आशीर्वाद से मेरे मुख से निकले थे. आज मैं आप सभी के बीच इन नई परियोजनाओं के साथ फिर वही संकल्प दोहराने आया हू.

विकसित भारत के दो प्रमुख स्तंभ, अपनी विरासत पर गर्व और विकास के लिए प्रयास
पीएम ने कहा कि 21वीं सदी के विकसित भारत के दो प्रमुख स्तंभ है, पहला अपनी विरासत पर गर्व और विकास के लिए हर संभव प्रयास. उत्तराखण्ड इन दोनो ही स्तम्भों को मजबूत कर रहा है. आज मुझे दो रोपवे के शिलान्यास का मौका मिला है. इससे केदारनाथ जी और हेमकुण्ड साहिब के दर्शन करना और आसान हो जायेगा. इन रोपवे से काम करने वाले लोगों पर देश के 130 करोड़ लोगों का आर्शीवाद बरसने वाले हैं. श्रमिकों और एंव इंजिनियरों से बात करने का मौका मिला. उन्होंने कहा कि वे भगवान का काम कर रहे हैं. उन्होंने क्षेत्रवासियों से इन काम में लगे मजदूरों का ध्यान रखने का आग्रह किया.

आस्था के केंद्र हमारे लिये प्राणशक्ति
पीएम ने कहा कि गुलामी की मानसिकता ने लोगों को ऐसा जकडा हुआ है कि प्रगति का हर कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है. विदेशों में संस्कृति से जुड़े ऐसे कार्यों की तारीफे की जाती थी और भारत में नहीं. गुलामी की मानसिकता ने हमारी पूजनीय आस्था स्थलों को जर्जर स्तर पर ला दिया था.

दशकों तक हमारे धार्मिक स्थलों की अवहेलना हुई. आस्था के यह केन्द्र सिर्फ ढ़ांचा नही बल्कि हमारे लिये यह प्राणशक्ति है. वह हमारे लिये ऐसे शक्तिपूंज है जो कठिन से कठिन परिस्थतियों में भी हमें जीवंत बनाये रखते हैं. आज अयोध्या, काशी, उज्जैन अपने गौरव को पुनः प्राप्त कर रहे है.

केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम को श्रद्धा के साथ आधुनिकता से जोडा जा रहा है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है, गुजरात के पावागढ़ में मां काली के मंदिर से लेकर देवी विंध्यांचल कोरिडोर तक भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा है.

आस्था के इन स्थलों पर पहुंचना, हर श्रद्धालु के लिए सुगम एवं आसान हो गया है. विश्वास है कि देश की नई पीढ़ी के लिए भी यह श्रद्धा का आकर्षण का केन्द्र बनेंगे. अब हमारे दिव्यांग साथी भी दर्शन कर रहे हैं. गिरनार में जब रोपवे बनाया तो 80 साल के बुजुर्ग भी यात्रा करने लगे, कई लोगों ने मुझे चिट्ठी भेज कर धन्यवाद दिया.

आस्था केंद्रों के पुनर्निर्माण से पहाड़ में ईज ऑफ लिविंग
पीएम ने कहा कि उत्तराखण्ड की देवभूमि, इस परिवर्तन का साक्षी बन रहे हैं. डबल इंजन की सरकार बनने से पहले एक सीजन में ज्यादा से ज्यादा 5 लाख श्रद्धालु आया करते थे अब इस सीजन में यह संख्या 45 लाख हो गई है. आस्था और आध्यात्मिकता के पुनर्निर्माण का एक और पक्ष है.

पहाड़ के लोगों के ईज ऑफ लिविंग का, उनके रोजगार का, जब पहाड़ में रोड, रेल और रोपवे पहुंचते तो अपने साथ रोजगार लेकर आते हैं और पहाड़ का जीवन भी शानदार, जानदार और आसान बना देते हैं. अब तो हमारी सरकार ड्रोन का उपयोग सामान ढोने में भी करने की योजना पर काम कर रही है. इससे पहाड़ के लोगों को अपने फल और सब्जी बाजार तक पहुंचाने में सुविधा मिलेगी.

सीएम धामी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमें पीएम जैसे महामुनि का सानिध्य प्राप्त हो रहा है. जिनके विचारों से सम्पूर्ण विश्व लाभान्वित हो रहा है. साथ ही हमें गर्व है कि पीएम के नेतृत्व में हम उस महान यात्रा के सहयात्री हैं जिस यात्रा का गंतव्य भारत को पुनः विश्व गुरु बनाना है.

पीएम एक तपस्वी की भांति किस प्रकार से नए भारत के निर्माण की अग्नि को सफलतापूर्वक प्रज्जवलित किये हुये हैं. उत्तराखंड की समस्त जनता की ओर से विश्वास दिलाता हूं कि इस महायज्ञ की सफलता के लिए जिस भी आहुति की आवश्यकता होगी उत्तराखंड उसके लिए सदैव तत्पर रहेगा. हम उत्तराखंड को ’’उत्कृष्ट उत्तराखंड’’ बनाने के ’’विकल्प रहित संकल्प’’ के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं.

पीएम ने सदैव उत्तराखंड के विकास को प्राथमिकता दी है और उनके नेतृत्व में उन्नति और उत्थान की एक अभूतपूर्व गाथा देवभूमि में लिखी जा रही है. वर्ष 2013 की उस अति भयावह त्रासदी के बाद का, गुजरात के सीएम के रूप में सर्वप्रथम आपने ही उत्तराखंड की सहायता के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया था.

सीएम ने कहा कि पीएम के नेतृत्व में, आज अभूतपूर्व रूप से भारत का सांस्कृतिक उत्थान हो रहा है. सनातन संस्कृति का परचम विश्व में लहरा रहा है और हमारी आस्था के केन्द्रों का इतिहास और महत्व उसी गौरव के साथ प्रदर्शित किया जा रहा है, जिसके साथ इसे किया जाना चाहिए था.

चाहे श्री राम मंदिर का निर्माण हो, बाबा विश्वनाथ मंदिर का अविस्मरणीय पुनरुद्धार हो, केदारपुरी व बद्रीनाथ पुरी का पुनर्निर्माण व सौन्दर्यीकरण हो या हाल ही में राष्ट्र को समर्पित श्री महाकाल लोक हो. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत की अस्मिता के प्रतीकों व सांस्कृतिक धार्मिक- धरोहरों को जिस प्रकार से संरक्षित व संवर्धित किया जा रहा है उसकी शब्दों में व्याख्या संभव नहीं है.

सीएम ने कहा कि बाबा भोलेनाथ की असीम कृपा तथा प्रधानमंत्री जी के दिशानिर्देशों के अनुसार की गई तैयारियों के कारण इस वर्ष कांवड़ यात्रा के दौरान 4 करोड़ शिव भक्तों को हरिद्वार से गंगा जल ले जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तथा अभी तक 45 लाख भक्तों ने चारधाम यात्रा में प्रतिभाग किया है. इस वर्ष की कावड़ यात्रा व चारधाम यात्रा कई अर्थों में ऐतिहासिक रही हैं.

सदियों से तिरस्कृत किये गये अपने तीर्थ क्षेत्रों को विकसित और आधुनिक बना रहे हैं, वह अपने आप में अभूतपूर्व है. पीएम के नेतृत्व में यह स्वर्णिम कालखंड भारत की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक चेतना के पुनरुत्थान का कालखंड है. आधुनिकता के संतुलित समावेश के साथ आज सनातन संस्कृति का वैभव पुनर्जीवित हो रहा है तथा भारत पुनः विश्वगुरु के स्थान पर स्थापित हो समूचे विश्व का मार्गदर्शन करने के लिये तैयार है.

सीएम ने कहा कि आज विश्व के समक्ष जो भी समस्याएं हैं उनके समाधान के लिये सभी विश्व शक्तियां भारत की ओर देख रही हैं तथा भारत की नीतियों का अनुसरण कर रही हैं.
यह प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शी नीतियों का ही परिणाम है कि कोरोना की गंभीर मार के बावजूद आज भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल मजबूत बनी हुई है बल्कि कई विकसित देशों से बेहतर प्रदर्शन भी कर रही है. पीएम की दूरदर्शिता आर्थिक मोर्चे पर ही नहीं, सामरिक मोर्चे पर भी बेहद स्पष्ट है.

आज किसी दुश्मन की हिम्मत नहीं है कि वो भारत की तरफ आंख उठा कर भी देख ले. आज जहां एक ओर सेना आधुनिक हथियारों से सुसंपन्न हो रही है, सैनिकों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं वहीं दूसरी ओर रक्षा क्षेत्र में धीरे-धीरे भारत की भूमिका आयातक की जगह निर्यातक की बन रही है. सेना के इस सशक्तिकरण से हमारा उत्तराखंड सर्वाधिक लाभान्वित हुआ है. आज सेना में अपनी सेवा दे रहा देवभूमि का प्रत्येक जवान इस बात से निश्चिंत है कि उसके परिवार का ख्याल रखने के लिए देश व प्रदेश में डबल इंजन की राष्ट्रवादी सरकारें हैं.

पीएम का यह कथन कि ‘‘21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का होगा’’ हमें एक नए उत्साह और ऊर्जा से भर देता है. एक तरफ जहां यह हमें गर्व की अनुभूति कराता है वहीं दूसरी तरफ यह हमें हमारे कर्तव्यों का भी बोध कराता है. पीएम के विजन के अनुरूप हम राज्य के विकास और कल्याण के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य करने हेतु संकल्पबद्ध हैं. हमने राज्य को वर्ष 2025 तक हर क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के लिए ’’विकल्प रहित संकल्प’’ का मूलमंत्र अपनाया है.

इस अवसर पर राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (से.नि.), कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, सौरभ बहुगुणा, पूर्व मुख्यमंत्री व क्षेत्रीय सांसद तीरथ सिंह रावत, उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे.

शिलान्यास की गई परियोजनाओं का विवरण
3400 करोड़ रुपये से अधिक की रोपवे और सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का पीएम द्वारा शिलान्यास किया गया. जिनमें गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब दो नई रोपवे परियोजनाओं भी शामिल थी. केदारनाथ रोपवे लगभग 9.7 किलोमीटर लंबा होगा. यह गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा, जिससे दोनों स्थानों के बीच यात्रा का समय वर्तमान में 6-7 घंटे से कम होकर लगभग 30 मिनट का रह जाएगा.

हेमकुंड रोपवे गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगा. यह लगभग 12.4 किलोमीटर लंबा होगा और यात्रा समय को एक दिन से कम करके केवल 45 मिनट तक सीमित कर देगा. यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है.

इन दोनों रोपवे को लगभग 2430 करोड़ रुपये की संचयी लागत से विकसित किया जाएगा. यह परिवहन का एक पर्यावरण अनुकूल साधन होगा, जो आवागमन को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करेगा. इस अहम बुनियादी ढांचे का विकास धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी और साथ ही साथ रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे.

कार्यक्रम के दौरान करीब 1000 करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया गया. दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं – माणा से माणा पास (एनएच – 07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) तक – सीमावर्ती क्षेत्रों में हर मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करने की दिशा में एक और कदम साबित होंगी. कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के अलावा, ये परियोजनाएं रणनीतिक दृष्टि से भी फायदेमंद साबित होंगी.







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