उत्‍तराखंड

यूकेएसएसएससी मामला: सीएम धामी की बड़ी कार्रवाई, आयोग के पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल सस्पेंड

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यूकेएसएससी

यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में धामी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. मामले में यूकेएसएसएससी के पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल को सस्पेंड कर दिया गया है. फिलहाल मनोहर सिंह कन्याल संयुक्त सचिव लेखा के पद पर तैनात थे. शासन ने गिरफ्तारी के बाद उनके सस्पेंशन के दिए आदेश जारी किए हैं. मनोहर सिंह कन्याल वीपीडीओ भर्ती 2016 के दौरान आयोग के सचिव थे.

एमएस कन्याल का निलंबन आदेश आठ अक्तूबर को हुई गिरफ्तारी से प्रभावी होगा. एमएस कन्याल 2016 में हुई वीपीडीओ भर्ती के दौरान आयोग में सचिव थे. इस भर्ती में ओएमआर शीट से छेड़छाड़ हुई थी, जिसके पुख्ता प्रमाण भी सामने आए थे. 2018 में विजिलेंस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया था. जिसके बाद हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले को एसटीएफ के हवाले कर दिया था.

भर्ती घोटाले में पूछताछ के बाद शनिवार को एसटीएफ ने कन्याल को गिरफ्तार किया. सोमवार को अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कन्याल को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया. कन्याल वर्तमान में सचिवालय में संयुक्त सचिव लेखा के पद पर सेवाएं दे रहे थे.

बता दें बता दें कि 2016 वीपीडीओ भर्ती के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी. लेकिन मुख्यमंत्री धामी के कड़े रुख के बाद जांच एजेंसियों ने भी तेजी दिखाई. सीएम धामी पिछले दिनों भर्तियों पर उठ रहे सवाल के जवाब देते हुए कहा था कि वो अपने युवा भाई-बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का जो दीमक लगा है, उसे वे जड़ से मिटा देंगे.

इसी कड़ी में वीपीडीओ भर्ती में साल बाद दोषियों के खिलाफ यह कार्रवाई करते हुए धामी सरकार ने बड़ी लकीर खींच दी है. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) चयन परीक्षा करवाई गई.

यह परीक्षा प्रदेश के सभी 13 जिलों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई. इस परीक्षा में कुल 87,196 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में भाग लिया. वहीं, 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था.

वहीं, इस परीक्षा में धांधली की विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 2017 में जांच समिति गठित की गई थी. इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने इस परीक्षा परिणाम को अनियमितताओं के पुष्टि के बाद निरस्त करने के आदेश दिये थे. जिसके बाद इस परीक्षा धांधली की जांच 2019 में विजिलेंस को सौंपी गई.










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