उत्तराखण्ड में बनेंगी सूर्यधार जैसी आठ झीलें, घाटियां फिर से होगी आबाद

उत्तराखण्ड| सूर्यधार यानि बरसाती नदी को बहुपयोगी और सदा नीरा बनाने की एक सफल कोशिश। इस झील के बन जाने से न सिर्फ पेयजल और सिंचाई के पानी की समस्या दूर होगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। यदि झील से बिजली उत्पादन में सफलता मिली तो वो किसी बोनस से कम नहीं होगा। इन सबसे हटकर एक और बात सामने आई है कि सूर्यधार जैसे झीलों के निर्माण से सम्बंधित घाटी के इकोसिस्टम में भी बदलाव लाया जा सकता है। इन सब फायदों को देखते हुए त्रिवेन्द्र सरकार ने अब राज्य के 8 और स्थानों पर नई झील बनाने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत अपने पैतृक गांव खैरासैंण जो कि पौड़ी जिले की पूर्वी नयार घाटी में स्थित है, में अपना बचपन बिता चुके हैं। कहीं न कहीं उन्हें इस बात का भान रहा कि नदियों का पानी दिन-ब-दिन कम क्यों होता जा रहा है। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद उन्होंने इस सम्बंध में विशेषज्ञों से चर्चा की। ये बहुउद्देशीय झील पेयजल किल्लत दूर करने से लेकर जलक्रीडा को बढ़ावा तो देंगी ही साथ ही साथ सूखे पड़ चुके खेतों में सिंचाई में मददगार होंगी। इस प्रकार ये घाटियां फिर से आवाद हो जाएंगीं।

घाटी के ईकोसिस्टम में भी बदलाव नजर आएगा। ल्वाली, पैठाणी, पपडतोली, गैंरसैण, कोशी, स्यूंसी, खैरासैंण व सतपुली ऐसे कई स्थानों का स्थलीय परीक्षण कर वहां झील बनाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इनमें से ल्वाली व चम्पावत जैसे जगहों पर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है । बहुत संभव है कि ये दोनो झीलें वर्ष 2020 की समाप्ति से पहले अपना आकार ले लें।

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