नगर निगम की ओर से शहर को स्वच्छ रखने के लिए योजनाएं तो तैयार की जाती हैं, लेकिन नियमित मॉनिटरिंग न होने के कारण योजनाएं धरातल पर उतरती ही नहीं हैं। अगर उतरती भी हैं तो कुछ ही दिनों में डंप हो जाती हैं।
दून में काफी ऐसा कूड़ा भी जनरेट होता है जिसको रिसाइकल, रियूज और रिड्यूज किया जा सकता है। इसमें कपड़े, पुरानी किताबें, स्टेशनरी, खिलौने, फर्नीचर, जूते, बैग और इलेक्ट्रॉनिक समान हैं। इनके रियूज करने की कोई व्यवस्था न होने के कारण लोग इसे भी कूड़े के साथ शामिल कर देते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए नगर निगम ने योजना तो बनाई, लेकिन योजना ठीक प्रकार से धरातल पर नहीं उतर सकी।
बता दे कि मई में जब योजना का उद्घाटन मेयर सुनील उनियाल गामा और नगर आयुक्त मनुज गोयल ने किया था तो दावा किया गया कि शहर भर में इसके लिए 50 से अधिक केंद्र खोले गए हैं। लेकिन कुछ ही दिनों में यह अभियान हवा साबित हो गया।