सीएम धामी ने किया प्रकृति संरक्षण कार्यों का अवलोकन, शुक्लापुर में बनाया जाएगा नेचर पार्क

बुधवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हैस्को गाँव शुक्लापुर में प्रकृति के संरक्षण के लिए किये जा रहे कार्यों का अवलोकन किया. सीएम ने कहा कि हैस्को के संस्थापक डॉ. अनिल प्रकाश जोशी द्वारा इस क्षेत्र में प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए अनेक कार्य किये जा रहे हैं.

जल छिद्रों के माध्यम से जल संचय की दिशा में अच्छा कार्य किया गया है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह क्षेत्र आने वाले समय में केवल प्रदेश के लिए ही नहीं देश-दुनिया के लिए भी एक मॉडल बनेगा. उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी करने होंगे.

सीएम ने कहा कि शुक्लापुर में जो नेचर पार्क बनाया जायेगा इसमें प्रकृति प्रदत्त चीजों का उपयोग किया जायेगा. इसे एक मॉडल के रूप में विकसित किया जायेगा. पर्यावरण प्रेमियों एवं शोधार्थियों के लिए यह नेचर पार्क बहुत उपयोगी होगा. उन्होंने कहा कि इकोनॉमी और इकोलॉजी में संतुलन बना रहे, इस दिशा में सरकार कार्य कर रही है. प्रकृति के प्रति जागरूक होने के साथ ही हमें अन्य लोगों को भी जागरूक करना होगा. पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्द्धन के साथ ही हमें प्रकृति प्रदत्त चीजों का सही तरीके से उपभोग करना होगा.

हैस्को के संस्थापक पदम भूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि 2010 में जब इस क्षेत्र से जुड़ी हुई छोटी नदी जो आसन की सहधारा भी है वह सूखने लगी तो एक विचार आया कि क्यों न इस सूखती नदी की वापसी संभव की जाय. यह प्रयोग भी हो, वहीं दूसरी तरफ विज्ञान आधारित प्रकृति के साथ जोड़कर देखे जाने की कोशिश भी. वन विभाग व हेस्को ने आपसी भागीदारी जुटाई जल छिद्रों को बनाने का कार्य किया.

प्रति हेक्टेयर लगभग 300 जल छिद्रों ने पानी को इकट्ठा करना शुरू किया. करीब पूरे 44 एकड़ में विभाग और हैस्को की भागीदारी से जब यह कार्य हुआ तो दूसरे ही वर्ष पानी की वापसी आसन गंगा में हो गई. अनेक वन्यजीव साही, जंगली सुअर, हिरन और लैपर्ड यहां आने लगे. यहाँ चिड़ियाओं की अभी 100 से भी अधिक प्रजातियां हैं.

वन विभाग के अधिकारियों ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जानकारी दी कि शुक्लापुर क्षेत्र में लगभग 46 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बनने वाले इस नेचर पार्क की अनुमानित लागत 02 करोड़ 55 लाख रूपये है. इसमें पूरे नेचर पार्क में फैनसिंग और चेनिंग, ईको फ्रेंडली गेटों का निर्माण, ईको हट्स, इंटर लॉकिंग टाइल्स एवं अन्य कार्य किये जायेंगे.

इस अवसर पर महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, निदेशक वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी प्रो. कलाचंद सेन, डी.एफ.ओ देहरादून नितीश मणि त्रिपाठी एवं पर्यावरण से जुड़े अन्य लोग उपस्थित थे.

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